सावन के हर सोमवार इस खास जल से करें शिवलिंग अभिषेक, लक्ष्मी होंगी प्रसन्न मिलेगा धन लाभ
By मेघना वर्मा | Published: July 30, 2018 08:46 AM2018-07-30T08:46:49+5:302018-07-30T08:46:49+5:30
श्रावण में उज्जैन के दक्षिणामुखी महाकाल और अन्य दक्षिणामुखी शिवलिंग पूजा का बहुत महत्व होता है।
श्रावण मास में भगवान शंकर का विशेष महत्व होता है। लोग श्रावण मास का व्रत भी करते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो महीने भर तो व्रत नहीं करते मगर श्रावण मास के सोमवार का व्रत जरूर करते हैं। इस बार श्रावण का पहला सोमवार 30 जुलाई यानी आज है। माना जाता है कि श्रावण के सोमवार का व्रत जो भी करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। श्रावण के सोमवार को ही शिव मंदिरों में भंयकर भीड़ भी देखी जा सकती हैं। सावन के सोमवार में पार्थिव शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। क्यों है श्रावण का सोमवार इतना खास और क्या है इसकी पूजा विधि हम बताते हैं आपको।
सोमवार से जुड़ा चंद्रमा भागवान शिव के मस्तक पर होता है विराजमान
इस साल श्रावण में 4 सोमवार पड़ रहे हैं। सोमवार का अंक 2 होता है जो चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। चंद्रमा मन का संकेतक है और वह भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान है। यही कारण है कि शिव इतने सरल और शांत दिखाई देते हैं। सावन में प्रेम-प्रफुल्लित होकर शिव अपना रुप धारण कर लेते हैं। इस मास में सबसे ज्यादा संक्रमण होने की आशंका भी होती हैं। मान्यता है कि शिव का मन से अभिषेक और पूजन करने पर चंद्रमा बलवान होकर मन को ऊर्जा से भर देता है। लड़कियों को श्रावण के सोमवार व्रत रखनें की सलाह दी जाती है क्योंकि माना जाता है कि इससे लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है।
शिवलिंग की पूजा विधि के ये हैं कुछ जरूरी नियम
* जिस जगह भी शिवलिंग स्थापित हो हमेशा उसके पूर्व में मुख करके बैठना चाहिए।
* पूजा के दौरान शिवलिंग से पश्चिम की ओर भी नहीं बैठना चाहिए क्योंकि वह शिव जी की पीठ होती है। जिस कारण पूजा का कोई फल नहीं मिलता।
* उज्जैन के दक्षिणामुखी महाकाल और अन्य दक्षिणामुखी शिवलिंग पूजा का बहुत महत्व होता है।
* शिवलिंग की पूजा के समय रूद्राक्ष की माला अवश्य पहनना चाहिए साथ ही बिना कटे-फटे बेलपश्र ही अर्पित करना चाहिए।
* शिवलिंग की कभी भी पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए आधी परिक्रमा ही मानी जाती है शुभ।
किस अभिषेक से मिलता है कैसा फल
* ज्यादातर लोग शिव की दूध से अभिषेक करते हैं। इससे परिवार में कलह, मानसिक अवसाद और अनचाहे दुःख व कष्टों आदि का निवारण होता है।
* वंश वृद्धि के लिए घी की धारा डालते हुए शिव सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए।
* इत्र की धारा डालते हुए शिव का अभिषेक करने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
* जलधारा डालते हुए शिव जी का अभिषेक करने से मानसिक शांति मिलती है।
* शहद की धारा डालते हुए अभिषेक करने से रोग मुक्ति मिलती है। परिवार में बीमारियों का अधिक प्रकोप नहीं रहता है।
* गन्ने के रस की धारा डालते हुए अभिषेक करने से आर्थिक समृद्धि व परिवार में सुखद माहौल बना रहता है।
* गंगा की धारा बहुत प्रिय है। गंगा जल से अभिषेक करने पर चारो पुरूषार्थ की प्राप्ति होती है। अभिषेक करते समय महामृत्युंजय का जाप करने से फल की प्राप्ति कई गुना अधिक हो जाती है। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
* सरसों के तेल की धारा डालते हुए अभिषेक करने से शत्रुओं का शमन होता, रूके हुए काम बनने लगते है व मान-सम्मान में वृद्धि होती है।