Sankashti Chaturthi 2023: जून की इस तारीख को रखा जाएगा संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त और महत्व
By अंजली चौहान | Published: June 6, 2023 03:47 PM2023-06-06T15:47:41+5:302023-06-06T15:49:57+5:30
इस वर्ष 7 जून को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।
Sankashti Chaturthi 2023: हिंदू धर्म में चतुर्थी का खास महत्व है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है लेकिन आषाढ़ माह में पढ़ने वाली चतुर्थी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। संकष्टी चतुर्थी या कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है।
यह महत्वपूर्ण हिंदू उत्सव कृष्ण पक्ष के दौरान चतुर्थी तिथि को मासिक रूप से मनाया जाता है, जो चंद्रमा के घटने के चरण को दर्शाता है। आषाढ़, कृष्ण पक्ष और ज्येष्ठ, कृष्ण पक्ष में आने वाले संकष्टी व्रत को विशेष रूप से कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।
संकष्टी चतुर्थी का तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक, चतुर्थी व्रत मंगलवार, 6 जून, 2023 को देर रात 12 बजकर 50 मिनट से प्रारंभ हो रहा है। यह अगले दिन 7 जून बुधवार को रात 9 बजकर 50 मिनट पर खत्म हो जाएगा। ऐसे में उदयतिथि के आधार पर कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी व्रत 7 जून को रखा जाएगा।
इस वर्ष कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रोदय का समय निश्चत नहीं है क्योंकि इस दिन चंद्रमा रात 10 बजकर 50 मिनट पर उदय होगा। वहीं, चतुर्थी तिथि 07 जून को रात 09 बजकर 50 मिनट पर खत्म होगी। इसके बाद पंचमी तिथि आरंभ है इसलिए आपको चतुर्थी की पूजा इससे पहले ही खत्म कर लेनी है।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार, कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। वह दूसरों के बीच पूजा करने वाले सबसे प्रमुख देवता होने का सम्मानित स्थान रखता है। आषाढ़ महीने की कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी व्रत को सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्ति के लिए अचूक माना जाता है।
इस दिन भगवान गणेश के नाम का व्रत रखने पर संतान संबंधी समस्याएं दूर हो जाती है। इस दिन पूजा करने से धन और कर्ज की परेशानी दूर हो जाती है।
संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि
- इस प्रात: काल उठकर स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करना चाहिए।
- घर में स्थित मंदिर की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़कें।
- मंदिर में गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित और उनके सामने दीप प्रज्वलित करें।
- गणेश भगवान को तिलक लगाएं और पुष्प अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान गणेश के चरणों में दूर्वा अर्पित करें क्योंकि दूर्वा भगवान को अति प्रिय है।
- भगवान को घी से बने लड्डू या मोदन का भोग लगाएं।
- पूजा पूरे विधि विधान से खत्म करने के बाद भगवान का ध्यान करें।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य ज्ञान पर आधारित है। लोकमत हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता, कृपा किसी भी सलाह/ तर्क को मानने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।)