Sabarimala Case: सबरीमाला मंदिर में इस दिन जलता है चमत्कारिक दीया, जानिए कौन हैं अय्यप्पा स्वामी
By मेघना वर्मा | Published: November 14, 2019 09:06 AM2019-11-14T09:06:23+5:302019-11-14T09:06:23+5:30
सबरीमाला का ये मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक है। इस मंदिर में भारी संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं। मक्का-मदीना के बाद इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है।
देशभर की नजरें आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं। सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के फैसले के खिलाफ दायर की गई रिव्यू पेटिशन पर कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगी। केरल के सबरीमाला मंदिर की आस्था अटूट है। सिर्फ आम नागरिक ही नहीं बल्कि कई बड़े सितारे भी इस मंदिर में खिंचे चले आते हैं। बता दें मंदिर में 10 साल से 50 साल तक की महिलाओं का प्रवेश करना मना था। जिसपर कोर्ट ने फैसला देकर महिलाओं को पूजा करने की इजाजत दे दी थी। मगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने नहीं दिया गया। जिसे लेकर पूरा विवाद छिड़ा है।
सबरीमाला का ये मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक है। इस मंदिर में भारी संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं। मक्का-मदीना के बाद इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है। इसकी सबसे खास बात ये है कि यह किसी भी आम हिंदू मंदिर की तरह साल भर नहीं खुला रहता। बल्कि मलयालम पंचाग के पहले पांच दिन और अप्रैल में इस मंदिर के द्वार खोले जाते हैं।
मकर संक्रांति पर लगता है मेला
हर साल जनवरी 14 यानी मकर संक्रांति वाले दिन मकर विलक्कू और 15 नवंबर को मंडलम उत्सव मनाया जाता है। इस मेले में शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। स्वामी अयप्पा के इस मंदिर में सिर्फ काले या नीले रंग के वस्त्र में ही प्रवेश कर सकते हैं।
जलता है चमत्कारिक दीया
सबरीमाला मंदिर में मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन एक ज्योति नजर आती है। जिसे देखने के लिए लोग भारी संख्या में यहां इकट्ठा होते हैं। यहां के लोगों की आस्था है कि इस ज्योत को कोई और नहीं बल्कि खुद भगवान के द्वारा जलाया जाता है। इसे देखने के लिए लोग ना सिर्फ कई दिनों पहले से यहां आते हैं बल्कि घंटों लाइन में लगकर इसे देखते हैं। माना जाता है कि भगवान राम को जूठे बेर खिलाने वाली शबरी के नाम पर ही इस मंदिर का नाम रखा गया है।
कौन है भगवान अयप्पा
पुरानी कथाओं की मानें तो भगवान अयप्पा को भगवान शिव और माता मोहिनी का पुत्र मानते हैं। मोहिनी भगवान विष्णु का ही एक स्वरूप मानी जाती हैं। जिन्होंने समुद्र मंथन के दौरान दानवों का ध्यान भटकाने के लिए अवतार लिया था। शिव और विष्णु से उत्पन्न होने के कारण भगवान अयप्पा को हरिहरपुत्र भी करते हैं।