पुरी में आज निकलेगी भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा, तैयारी पूरी, सुरक्षा के कड़े इंतजाम
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 4, 2019 07:46 AM2019-07-04T07:46:25+5:302019-07-04T07:46:25+5:30
ऐसी मान्यता है कि श्री जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के रथ खींचने से पुण्य मिलता है। तमाम भक्तों के बीच इसकी होड़ भी देखने को मिलती है।
ओडिशा के पुरी में आज से शुरू होने जा रही जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। रथयात्रा में देश-विदेश से पहुंच रहे लाखों श्रद्धालुओं को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये हैं। एक सप्ताह चलने वाले इस महोत्सव के दौरान पुरी में करीब दो लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है जो पिछले साल से 30 प्रतिशत से ज्यादा है। हर साल होने वाले इस आयोजन का हिंदू मान्यताओं में विशेष महत्व है।
तस्वीरों में देखें : श्री जगन्नाथ रथयात्रा के उत्सव में डूबा धरती का 'बैकुंठ' ओडिशा का पुरी शहर
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
इस आयोजन के तहत भगवान श्री जगन्नाथ सहित बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा को रथ पर सवार किया जाता है और नगर का भ्रमण कराते हुए उन्हें उनकी मौसी गुंडीचा देवी के मंदिर तक ले जाया जाता है। श्री जगन्नाथ यहां एक हफ्ते के लिए रहते हैं। भक्तगण उपवास रखकर रथ खींचते हैं। ऐसी मान्यता है कि श्री जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के रथ खींचने से पुण्य मिलता है। तमाम भक्तों के बीच इसकी होड़ भी देखने को मिलती है। ऐसा कहते हैं कि जगन्नाथ रथयात्रा में रथ को खींचने से मुक्ति मिल जाती है।
#WATCH: Devotees in large numbers have gathered in Puri for Jagannath Rath Yatra. #Odishapic.twitter.com/thoNrGLelt
— ANI (@ANI) July 3, 2019
शाम 4 बजे से रथ खींचने का आयोजन
तमाम पूजा-अर्चनाओं और विधि के बाद रथ खींचने का कार्यक्रम शाम 4 बजे से शुरू होगा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को हर साल होने वाले इस विशेष आयोजन का समापन शुक्ल पक्ष के 11वें दिन वापस भगवान जगन्नाथ के अपने घर लौटने पर होता है। इसके लिए पिछले कई महीनों से रथ बनाने का भी काम शुरू हो जाता है।
रथ का निर्माण वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होता है। इसमें धातु की बजाय लकड़ी के टुकड़ों का ही इस्तेमाल किया जाता है। किसकी मूर्ति कितनी बड़ी होगी, यह भी तय होता है। भगवान जगन्नाथ का रथ जहां 16 मीटर होता है वहीं, बलराम जी का रथ 14 मीटर ऊंचा होता है। सुभद्रा जी का रथ 13 मीटर ऊंचा होता है।
रथयात्रा में बलभद्र का रथ 'तालध्वज' सबसे आगे होता है। बीच में सुभद्रा का रथ 'पद्म रथ' होता है। वहीं, सबसे अंत में भगवान जगन्नाथ का 'नंदी घोष' या 'गरुड़ध्वज' रथ रहता है।
जगन्नाथ मंदिर का पोर्टल शुरू
इससे पहले मंगलवार को पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने वार्षिक रथयात्रा सहित मंदिर की परंपराओं, उनके महत्व और कार्यक्रमों की सूचनाओं वाली एक वेबसाइट शुरू की। पुरी गजपति (नरेश) महाराजा दिब्यसिंह देब ने एसजेटीए के अधिकारियों, सेवकों और गणमान्य लोगों की उपस्थिति में यह पोर्टल प्रारंभ किया। एजेटीए के मुख्य प्रशासनक पी. के. महापात्रा ने बताया कि इस वेबसाइट को मोबाइल फोन पर देखा जा सकता है। उसे आईटी एवं आईटीईएस सेवा प्रदाता सुयोग कंप्यूटेक ने तैयार किया है।