Pitru Paksha 2023: इस दिन से प्रारंभ हो रहा है पितृपक्ष, जानें तिथियां और श्राद्ध कर्म विधि और महत्व
By रुस्तम राणा | Published: September 14, 2023 04:28 PM2023-09-14T16:28:33+5:302023-09-14T16:28:33+5:30
इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से होगी। 14 अक्टूबर 2023 को सर्व पितृ अमावस्या के दिन यह समाप्त होगा।
Pitru Paksha 2023: हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करने का विधान है। हिन्दू मान्यता के अनुसार, पितृ ऋण चुकाने के लिए शास्त्रों में श्राद्ध कर्म करने का विधान बताया गया है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा से पितृ पक्ष प्रारंभ होता है, जो आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से होगी। 14 अक्टूबर 2023 को सर्व पितृ अमावस्या के दिन यह समाप्त होगा।
श्राद्ध की तिथियां(Pitru Paksha 2023 Dates)
29 सितंबर 2023 : पूर्णिमा श्राद्ध
30 सितंबर 2023 : प्रतिपदा श्राद्ध , द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर 2023 : तृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर 2023 : चतुर्थी श्राद्ध
03 अक्टूबर 2023 : पंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर 2023 : षष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर 2023 : सप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर 2023 : अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर 2023 : नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर 2023 : दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर 2023 : एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर 2023 : द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023 : त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023 : चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023 : सर्व पितृ अमावस्या
तर्पण की विधि
सबसे पहले पितरों का तर्पण करने हेतु उन्हें जल दें।
समस्त तर्पण सामग्री लेकर दक्षिण की ओर मुख करके बैठें।
हाथ में जल, कुशा, अक्षत, पुष्प और काले तिल लेकर दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान कर उन्हें आमंत्रित करें।
इस दौरान अपने पितरों से आग्रह करें कि मेरे दिए जल और भोजन को ग्रहण करें।
अंत में जल पृथ्वी पर 5-7 या 11 बार अंजलि से गिराएं।
ब्राह्मणों को भोजन कराने से पूर्व गाय, कुत्ते और चींटी के लिए भोजन निकाल लें।
श्राद्ध कर्म का महत्व
हिन्दू धर्म में किए जाने वाले श्राद्ध से जुड़े कर्मकांड, तर्पण आदि ये सभी पितृ ऋण को चुकाने के लिए किए जाते हैं। शास्त्रों में पितरों को देवतुल्य माना गया है और हम उन्हीं की संतति हैं। उन्हीं के कारण हमारा अस्तित्व है। उन्होंने हमारा लालन-पालन कर हमें कृतार्थ किया है। हम उनके सदैव ऋणी हैं और इसी पितृ ऋण की मुक्ति के लिए ही श्राद्ध किया जाता है। गरुड़ पुराण में श्राद्ध कर्म के लाभ बताते हुए यह कहा गया है कि श्राद्ध करने से कुल में कोई दुखी नहीं रहता है। पितरों के निमित्त तर्पण से घर में सुख-वैभव और संपन्नता आती है।