Pitru Paksha 2021: कौए की क्या कभी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती? पितृपक्ष में क्यों है इस पक्षी का बहुत महत्व, जानिए

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 16, 2021 04:17 PM2021-09-16T16:17:15+5:302021-09-16T16:17:15+5:30

Pitru Paksha 2021:इस बार पितृपक्ष की शुरुआत 20 सितंबर से हो रही है और इसका समापन 6 अक्टूबर को आश्विन महीने की अमावस्या पर हो जाएगा।

Pitru Paksha 2021: importance of crow during these days lord ram story | Pitru Paksha 2021: कौए की क्या कभी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती? पितृपक्ष में क्यों है इस पक्षी का बहुत महत्व, जानिए

पितृपक्ष में है कौए का बहुत महत्व

Highlights 20 सितंबर से हो रही है इस बार पितृपक्ष की शुरुआत, भद्रपद की शु्क्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि होगी येमान्यताओं के अनुसार 16 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए।पितृपक्ष में कौओं को लेकर विशेष मान्यताएं हैं, इन 16 दिनों में कौए का घर की छत पर आना या दर्शन बहुत शुभ माना गया है।

Pitru Paksha 2021: हिंदू मान्यताओं के अनुसार हर साल भद्रपद की शु्क्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआत हो जाती है। ये 16 दिन चलता है। इस बार इसकी शुरुआत 20 सितंबर से हो रही है और इसका समापन आश्विन महीने की अमावस्या यानी 6 अक्टूबर को हो जाएगा।

इस काल में कोई नया या शुभ काम नहीं करने की परंपरा है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष का बहुत महत्व है। 16 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। ये समय अपने पूर्वजों को याद करने का होता है। 

इसी संदर्भ में हिंदू धर्म में कौओं को लेकर विशेष मान्यताएं हैं। श्राद्ध पक्ष में कौए का घर की छत पर आना या उसका दर्शन बहुत शुभ माना गया है। 

मान्यता है कि हमारे पितर-पूर्वज इन दिनों में कौए के ही शरीर में विचरण करते हैं। इसलिए इन दिनों में इन्हें पितृ का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि कौओं को कराया गया भोजन पितरों को प्राप्त होता है। गरुण पुराण में कौए को यम का संदेश वाहक भी कहा गया है। 

कौओं की नहीं होती कभी स्वाभाविक मृत्यु

कौए को लेकर ऐसी भी मान्यता है कि उसका जुड़ाव समुंद्र मंथन काल से है। एक कथा के अनुसार इस पक्षी ने समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत रस को चख लिया था। इसलिए कभी भी कौए की स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती। इसकी मृत्यु हमेशा आकस्मिक होती है। हालांकि, हम स्पष्ट कर दें कि ये मान्यताएं हैं।

त्रेतायुग और भगवान राम से भी जुड़ी है कौए की कथा

त्रेतायुग से जुड़ी एक कथा के अनुसार देवराज इंद्र के पुत्र जयंत ने एक बार कौए का रूप धारण किया था। उन्होंने शरारत करते हुए कौए के रूप में माता सीता के पैर में चोंच मार दी। श्रीराम ने जब यह देखा तो उन्होंने एक तिनके से जयंत की आंख फोड़ दी। 

इसके बाद जयंत ने अपने किए की माफी मांगी। उसी के बाद राम ने कौए को वरदान दिया कि पितरों को अर्पित किए जाने वाले भोजन का एक हिस्सा उसे भी मिलेगा।

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