परशुराम जयंती 2020: अश्वमेध यज्ञ से जीत ली थी पूरी दुनिया, मगर किया कुछ ऐसा कि दे गए सभी को सीख-परशुराम से सीखनी चाहिए ये 3 बातें

By मेघना वर्मा | Published: April 26, 2020 09:19 AM2020-04-26T09:19:10+5:302020-04-26T09:19:10+5:30

भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का उद्देश्य पापी, विनाशकारी और अधार्मिक राजाओं को भगाकर पृथ्वी के भार को दूर करना है।

parshuram jayanti 2020 today when lord parshuram win all the world by ashwamedh yagya,learn life lessons from lord parshuram | परशुराम जयंती 2020: अश्वमेध यज्ञ से जीत ली थी पूरी दुनिया, मगर किया कुछ ऐसा कि दे गए सभी को सीख-परशुराम से सीखनी चाहिए ये 3 बातें

परशुराम जयंती 2020: अश्वमेध यज्ञ से जीत ली थी पूरी दुनिया, मगर किया कुछ ऐसा कि दे गए सभी को सीख-परशुराम से सीखनी चाहिए ये 3 बातें

Highlightsपरशुराम, ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे। भगवान परशुराम को न्याय का देवता भी कहा जाता है।

परशुराम को भगवान विष्णु का छठां अवतार बताया जाता है। जिनकी पूजा की जाती है। आज (26 अप्रैल) परशुराम की जयंती है। माना जाता है आज भी परशुराम धरती पर जीवित हैं। परशुराम को भगवान विष्णु का छठां अवतार माना जाता है। हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को परशुराम जयंती मनायी जाती है। 

पूर्वी उत्तर भारत में पूरे धूम-धाम के साथ परशुराम जयंती मनाई जाती है। नगर में परशुराम की झांकियां निकाली जाती हैं। मगर इस बार लॉकडाउन के चलते लोग अपने घरों में भी भगवान परशुराम की जयंती को मनाएंगें। इस साल कोरोना ने परशुराम जयंती का रंग फीका पड़ेगा।

परशुराम का जीवन सदैव ही लोगों के लिए शिक्षाप्रद रहा। उन्होंने हमेशा अपने कृत से लोगों को शिक्षा दी। आज हम आपको यहां ऐसी ही चीजें बताने जा रहे हैं जिसकी शिक्षा आपको भगवान परशुराम से लेना चाहिए-

1. जब अश्वमेध यज्ञ से जीत ली थी पूरी दुनिया

धार्मिक कथाओं के अनुसार बताया जाता है कि भगवान परशुराम ने अपने तेज से अश्वमेघ यज्ञ से पूरी दुनिया को जीत लिया था मगर इसके बाद उन्होंने सबकुछ दान कर दिया। परशुराम से हम सभी को दान का गुण सीखना चाहिए। हर इंसान को अपनी क्षमता के अनुसार दान जरूर करना चाहिए। माना जाता है कि दान करने से आपको उससे दोगुना फल मिलता है।

2. सीखें न्याय करना

भगवान परशुराम को न्याय का देवता भी कहा जाता है। न्याय करने के लिए ही उन्होंने सहस्त्रार्जुन और उनके वंश का नाश कर दिया था। परशुराम को न्याय बहुत प्रिय था। मान्यता है कि वो सहस्त्रार्जुन और उनके वंश को खत्म नहीं करना चाहते थे मगर न्याय उन्हें सभी चीज से ऊपर लगा। परशुराम से हमें न्याय करना सीखना चाहिए।

3. माता-पिता का सम्मान

परशुराम, ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे। ऋषि जमदग्नि को सप्त ऋषि कहा जाता था। भगवान परशुराम अति देजस्वी, ओजस्वी और पराक्रमी थे। परशुराम ने हमेशा ही अपने माता-पिता का सम्मान किया। कहा जाता है कि पिता की आज्ञा से उन्होंने अपने माता का गला काट दिया था। मगर पिता से ही उन्होंने माता को पुन जीवित करने का वरदान भी मांगा था।

करेंगे पापी का नाश

भगवान विष्णु के छठे अवतार का उद्देश्य पापी, विनाशकारी और अधार्मिक राजाओं को भगाकर पृथ्वी के भार को दूर करना है जिन्होंने इसके संसाधनों को नष्ट कर दिया और राजाओं के रूप में अपने कर्तव्यों की उपेक्षा की। 

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