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अब एक ही रूट से जाकर कर सकेंगे पंचकेदार के दर्शन, जानिए सबकुछ

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 4, 2021 15:03 IST

केदारनाथ आपदा के बाद पंचकेदार (केदारनाथ, मद्महेश्वर, तुंगनाथ, रु द्रनाथ और कल्पेश्वर) को एक ट्रैक पर जोड़ने की मुहिम की गई थी.

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ठळक मुद्देकेदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने प्रस्ताव तैयार कर शासन को भी भेजा था.ट्रैक के माध्यम से पंचकेदार दर्शन की योजना बनाई है.केदार रुद्रनाथ से कल्पेश्वर के लिए आठ से दस किमी लिंक ट्रैक बनाया जाएगा.

देहरादूनः आगामी वर्षों में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु पंच केदार की सुगम और सुरक्षित यात्रा कर सकेंगे. केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने पंचकेदार को एक ट्रैक से जोड़ने के लिए कार्ययोजना बनाने में जुट गया है, जिसके तहत यात्रा मार्गें को दुरुस्त करने के साथ ही नए वैकिल्पक मार्ग भी बनाए जाएंगे.

केदारनाथ आपदा के बाद पंचकेदार (केदारनाथ, मद्महेश्वर, तुंगनाथ, रु द्रनाथ और कल्पेश्वर) को एक ट्रैक पर जोड़ने की मुहिम की गई थी. इस संबंध में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने प्रस्ताव तैयार कर शासन को भी भेजा था, लेकिन बात नहीं बन पाई. अब, पुन: प्रभाग ने एक ट्रैक के माध्यम से पंचकेदार दर्शन की योजना बनाई है.

इसके तहत 75 से 80 किमी लंबे वैकल्पिक रास्तों का निर्माण किया जाएगा, जो पंच केदार को एक-दूसरे से जोड़ने का काम करेंगे. इन मंदिरों को जोड़ने वाले प्राचीन रास्तों को दुरु स्त कर उन्हें भी नए रास्तों से लिंक किया जाएगा. अधिकारियों के अनुसार द्वितीय केदार मद्महेश्वर व चतुर्थ केदार रुद्रनाथ को आपस में जोड़ने के लिए 25 से 30 किमी लिंक मार्ग बनाया जाएगा, जिसमें यात्रियों के लिए सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध होंगी. जबकि चतुर्थ केदार रुद्रनाथ से कल्पेश्वर के लिए आठ से दस किमी लिंक ट्रैक बनाया जाएगा.

वन विभाग की इस योजना के धरातल पर उतरने से देश-विदेश के श्रद्धालु एक सप्ताह में पंच केदार की यात्रा आसानी से कर सकेंगे. इसके अलावा वन विभाग द्वारा केदारनाथ के लिए निर्मित वैकल्पिक मार्ग चौमासी-केदारनाथ व तोषी-केदारनाथ के साथ ही अन्य प्राचीन ट्रैकों को भी आवाजाही लायक बनाया जाएगा.

केदारनाथ: समुद्रतल से 11500 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ शिव के 12 ज्योर्तिंलिंगों में एक है. यहां मंदिर नागर शैली में निर्मित है. यहां भगवान आशुतोष के भैंस स्वरूप के पुष्ट भाग की पूजा होती है.

मद्महेश्वर: समुद्रतल से 9700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम में भगवान शिव के नाभि की पूजा होती है. यहां मंदिर के ऊपरी तरफ बूढ़ा मद्महेश्वर, क्षेत्रपाल मंदिर, हिवाली देवी मंदिर हैं.

तुंगनाथ: समुद्रतल से 12070 फीट की ऊंचाई पर स्थित तृतीय केदार तुंगनाथ में भगवान शिव के बाहु भाग की पूजा होती है. यहां भूतनी देवी और भैरोनाथ मंदिर हैं.

रुद्रनाथ: समुद्रतल से 2290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चतुर्थ केदार रु द्रनाथ में भगवान शिव के मुख भाग की पूजा होती है. यहां चमोली-गोपेश्वर मार्ग पर सगर गांव से 18 किमी पैदल चलकर पहुंचा जाता है.

कल्पेश्वर: बदरीनाथ राजमार्ग से लिंक हेलंग-उर्गम मोटर मार्ग पर, उर्गम से एक किमी पैदल दूरी पर पंचम केदार कल्पेश्वर महादेव स्थित हैं. गुफानुमा मंदिर में भगवान शिव की जटाओं की पूजा होती है.

टॅग्स :उत्तराखण्डकेदारनाथबद्रीनाथ मन्दिरत्रिवेंद्र सिंह रावत
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