भगवान विष्णु को सर्वोच्य शक्ति का देवता भी कहा जाता जाता है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को विष्णन के पद्मनाभ रुप की पूजा की जाती है। जिसे पद्नाभ द्वादशी व्रत भी कहते हैं। विष्णु के इस अवतार को आपने भी उनकी तस्वीरों में देखा होगा। इस बार पद्मनाभ द्वादशी व्रत 10 अक्टूबर को पड़ रहा है।
मान्यता है कि विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा करने से ना सिर्फ यश और धन की प्राप्ति होती है बल्कि जीवन भर धन की कमी नहीं होती। भगवान पद्मनाभ अपने भक्तों की पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें धन-धान्य से भर देते हैं। इस बार आप भी पद्मनाभ स्वामी को प्रसन्न कर सकते हैं।
क्या है पद्मनाभ द्वादशी व्रत का महत्व
पद्मनाभ द्वादशी व्रत करने से लोगों को मोक्ष की प्राप्ती होती है। पुरानी कथाओं की मानें तो जो भक्त भगवान विष्णु की अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी और द्वादशी को व्रत पूजा करते हैं और उनको जन्म-मरण के चक्र से आजादी मिल जाती है। पद्मनाभ की सेवा करने से विष्णु की कृपा भी बनी रहती है।
कर सकते हैं नए कामों की शुरूआत
पद्मनाभ द्वादशी को शास्त्रों में बेहद शुभ दिन माना गया है। अगर आज आप किसी नए व्यवसाय या फिर किसी भी काम की शुरूआत करते हैं तो वह अपने सबसे बेहतर परिणाम तक पहुंचता है। आज के दिन आप कहीं यात्रा भी कर सकते हैं। जो बेहद अच्छी साबित होगी।
इस तरह करें भगवान पद्मनाभ की उपासना
द्वादशी के दिन सुबह स्नानादी करके भगवान विष्णु की शेषनाग पर विश्राम करती हुई तस्वीर को स्थापित करें। इसके बाद पूरे विधि-विधान से भगवान पद्मनाभ की पूजा करें। पद्मानभ के इस स्वरूप में विष्णु के साथ माता लक्ष्मी हों तो उनकी पूजा भी पूरी विधि-विधान से किया जाना जरूरी है।
चढ़ाएं ये चीज
भगवान विष्णु के इस स्वरूप को अक्षत, चंदन, धूप, गंध पीले फूल के साथ गुड़ जरूर अर्पित करें। भगवान विष्णु को गुड़ बेहद प्रिय है। उनके लगभग हर रूप पर गुड़ का भोग जरूर लगाएं। जरूरी नहीं की आप गुड़ की पूरी भेली चढ़ाएं। गुड़ के एक छोटे से टुकड़े से भी बात बन जाएगी। इस दिन केले के पेड़ की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। घी का दीपक जलाकर या कपूर से विष्णु की आरती करें इसके बाद प्रसाद को लोगों में बांट दें।