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ओशो का जीवन दर्शन: जब अकबर ने कहा- मैं राम से छोटा राजा तो नहीं, मेरे ऊपर भी लिखो रामायण!

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 14, 2020 09:59 IST

ओशो के अनुसार हम अक्सर दूसरों की नकल में लगे रहते हैं। हम बस हम हो जाएं बस इतना ही काफी है। नकल में आजकल लोग भटक गये हैं।

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ठळक मुद्देअकबर-बीरबल की कहानी से ओशो ने दी नकल नहीं करने की नसीहत'तुम तो तुम हो जाओ बस उतना ही काफी है, नकल में मत पड़ना'

एक बार अकबर ने अपने दरबार में अपने नवरत्नों को बुलाकर कहा कि अब मैं बूढ़ा हुआ, इधर मैं बहुत प्रशंसा सुनता हूं रामायण की, तो मैं कोई राम से छोटा राजा तो नहीं हूं। क्या मेरे जीवन पर रामाणय नहीं लिखी जा सकती?

अकबर की बात सुन आठ रत्न तो चुप थे पर बीरबल बोल पड़े। बीरबल ने कहा, 'लिखी जा सकती है, क्यों नहीं लिखी जा सकती? आप में क्या कमी है? अरे, राम का राज्य आपसे छोटा ही था। आपका राज्य तो औरों से भी बड़ा है। आप तो शहंशाहों के भी शहंशाह हैं। वे तो केवल राजा राम थे। लिख दूंगा पर काम मेहनत का है। शास्त्र बड़ा है, एक लाख अशर्फी पेशगी और एक साल का समय लगेगा।'

अकबर ने कहा, 'करो, कोई फिक्र नहीं। इसी समय एक लाख अशर्फी ले जाओ और साल भर की तुम्हारी छुट्टी।' बीरबल एक लाख अशर्फी लेकर आ गये। वे एक साल गुलछर्रे उड़ाते रहे। न कोई किताब लिखी और न ही कोई काम इस संबंध में किया। अकबर बीच-बीच में खबर लेते रहे कि क्या हुआ? बीरबल हमेशा यही जवाब भेज देते कि लिखी जा रही है, जैसे ही साल पूरा होगा हाजिर कर दूंगा।

बहरहाल, साल पूरा हुआ। बीरबल दरबार में पहुंचे। किताब वगैरह कुछ भी साथ नहीं ले कर आए। अकबर ने उनसे पूछा- 'किताब कहां है।' बीरबल ने कहा सब पूरा हो गया है बस एक ब्यौरा बाकी है जिसके बारे में आपके बिना कोई नहीं बता सकता। उसके बिना रामायण पूरी नहीं होगी। हमारे राम की सीता क रावण चुरा ले गया था। आपकी बेगम को कौन चुरा कर ले गया? उसका नाम-पता बता दो, किताब पूरी हो जाएगी।

यह सुनते ही अकबर गुस्से में आ गया। उसने तलवार खींच ली और कहा- 'तुम पागल हो गये हो? मेरी बेगम पर कोई आंखे तो उठाए। आंखे निकलवा लूं। कोई जुबान तो खोले! जुबान कटवा दूं! तुम कैसी बात करते हो।'

बीरबल ने कहा कि महाराज फिर तो रामायण नहीं लिखी जा सकती। अकबर ने कहा, 'अगर ये झंझट करना है तो हमें रामायण लिखवानी ही नहीं।' बीरबल ने कहा- 'जैसी मर्जी, मगर मेरी साल भर की मेहनत तो फिजूल गई। आप कहो तो महाभारत लिख दूं।' 

अकबर ने कहा कि महाभारत का भी नाम सुन रखा है। ये तो और बड़ी किताब है। बीरबल ने फिर तपाक से कहा- 'दो लाख अशर्फियां लगेंगी और साल भर का समय भी लगेगा।' अकबर ने कहा वो सब तो मिल जाएगा लेकिन पहले ये बताओ कि इसमें रावण वगैरह तो नहीं आता? सीता तो नहीं होंगी?

बीरबल ने कहा- कभी नहीं, न रावण होगा और न ही इस कथा में सीता होंगी। अकबर फिर राजी हो गये। बीरबल दो लाख अशर्फी और साल की छुट्टी पर फिर निकल गये। साल भर बीरबल ने फिर गुलछर्रे उड़ाए और साल बितने पर हाजिर हो गये। अकबर ने फिर हैरान होकर किताब के बारे में पूछा। बीरबल ने कहा- 'महाराज एक ब्यौरे की जरूरत है। इसके बारे में आपके अलावा और कोई नहीं बता सकता। उसके बिना किताब भी अधूरी रह जाएगी।' 

बीरबल ने आगे कहा- 'महाभारत में द्रौपदी के पांच पति थे। आपकी बेगम के एक पति को आप है। बाकी के चार कहां हैं। उनके नाम जरा बता दो।'

इतना सुनना था कि अकबर ने अपनी तलवार म्यान से बाहर निकाल ली। कहा- 'तू ठहर बीरबल, तुने समझ क्या रखा है।' बीरबल ने कहा- 'महाराज मैं क्या कर सकता हूं। आप ही कहते तो कि किताब लिखो और लिखता हूं तो उसमें अड़चन आती है। फिर कहो तो वेद लिख दूं।'

अखबर ने गुस्से में कहा, 'हमें लिखवाना ही नहीं। एक बात समझ आ गई कि दूसरे की कहानी किसी दूसरे पर चस्पां नहीं की जा सकती।' इस पर बीरबल ने कहा आपको बात जल्दी समझ आ गई नहीं तो किसी-किसी नासमझ को तो ऐसी बातें जनम-जनम तक समझ नहीं आती। तुम तो तुम हो जाओ बस उतना ही काफी है। तुम्हारा फूल खिले, तुम्हारी सुहंध उड़े, तुम्हारा दीया जले! 

जब तुम खिलोगे तो तुम्हारे भीतर भी वही महिमा होगी जो कृष्ण की है, बु्द्ध की है मगर कहानी वही नहीं होगी। वाद्य वही होगा लेकिन धुन तुम पर तुम्हारी बजेगी। तुम सिर्फ वही बन सकते हो जो तुम वास्तव में हो। नकल में मत पड़ना। नकल में लोग भटक गये हैं।

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