Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी व्रत 18 जून, मंगलवार को रखा जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाता है। इस भीषण गर्मी में निर्जला व्रत में व्रती को पूरे समय पानी नहीं पीना होता है। ऐसे में इसे कठिन व्रतों में गिना जाता है। मान्यता है कि इसे महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस साल निर्जला एकादशी व्रत पर 3 बेहद शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
निर्जला एकादशी तिथि एवं पारण मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ - 17 जून, सोमवार की शाम 04:43 बजेएकादशी तिथि समाप्त - 18 जून, मंगलवार की शाम 06:24 बजेपारण मुहूर्त - 19 जून सुबह 05:24 से 07:28 तक
निर्जला एकादशी के दिन शुभ योग
निर्जला एकादशी के दिन 3 शुभ योग- त्रिपुष्कर योग, शिव योग और स्वाति नक्षत्र बन रहे हैं। इन तीन का एकसाथ निर्जला एकादशी के दिन पड़ना बेहद अद्भुत संयोग है। पंजांग के अनुसार, 18 जून को दोपहर 03:56 बजे से पारण वाले दिन 19 जून को सुबह 05:24 तक त्रिपुष्कर योग रहेगा। जबकि सुबह से लेकर दोपहर 03:56 तक स्वाति नक्षत्र रहेगा। इसके अलावा सुबह से रात 09:39 तक शिव योग रहेगा।
निर्जला एकादशी की पूजा विधि
व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प करें।विष्णुजी को पीले फल, पीले फूल, पीले पकवान आदि का भोग लगाएं। दीप जलाएं और आरती करें। पूजा के दौरान- 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:' मंत्र का भी जाप करें।किसी गौशाला में धन या फिर प्याऊ में मटकी आदि या पानी का दान करें। शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं और उनकी भी पूजा करें।अगले दिन सुबह उठकर और स्नान करने के बाद एक बार फिर भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही गरीब, जरूरतमंद या फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इसके बाद ही खुद भोजन ग्रहण करें।
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
निर्जला एकादशी व्रत रखने से सारे पाप मिट जाते हैं। व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत पांडव महाबली भीम ने भी किया था। भीम के साथ यह समस्या थी कि वे भूखे नहीं रह पाते थे, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर भीम ने एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखा था, इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। यह व्रत रखने से सारे दुख-दर्द दूर होते हैं, जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।