Nirjala Ekadashi 2022: निर्जला एकादशी को शास्त्रों में सभी एकादशियों में से सर्वोत्तम माना जाता है। ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि इसे महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस साल 10 जून को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, जो कोई व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत विधि-विधान से करता है उसे समस्त प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य प्राप्त होता है। किंतु इस दिन कुछ विशेष नियमों का पालन जरूरी है। कई बार जाने-अंजाने में हमसे गलतियां हो जाती हैं, उन गलतियों से बचना चाहिए।
1. निर्जला एकादशी पर व्रती बिना अन्न-जल ग्रहण कर यह व्रत करता है, परंतु जो कोई व्रत नहीं करता है उसे भी इस दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। निर्जला एकादशी पर चावल का सेवन नही करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन चावल, मसूर की दाल, बैंगन और सेम का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. निर्जला एकादशी व्रत करने वाले को इस दिन भूल से भी नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि बहुत आवश्यक हो तो सेंधा नमक खा सकते हैं। जो कोई व्रत नहीं रख रहा है तो आज के दिन उसे सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
3. निर्जला एकादशी के दिन देर तक नहीं सोना चाहिए और व्रती को दिन में नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से व्रती को व्रत का वास्तविक फल प्राप्त नहीं होता है। रात्रि में बेड या पलंग में सोने की बजाय की जमीन पर बिस्तर लगाना चाहिए।
4. निर्जला एकादशी पवित्र तिथि होती है। इस दिन हमें भी पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए। इस दिन शारीरिक संबंध या गलत विचारों आदि से दूर रहना चाहिए। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और जगत के पालनहार विष्णु जी का स्मरण करना चाहिए।