आज नृसिंह जयंती है। भगवान नृसिंह को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। पुराणों में जिक्र मिलता है कि जब-जब धरती पर अत्याचार हुआ है, पाप बढ़ा है तब-तब भगवान श्रीहरि ने अवतार लेकर दुष्टों और पापियों का विनाश किया है। मानव और मानवता को पापों से मुक्ति दिलाई है। इसी अत्याचार को कम करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह का अवतार लिया था।
हर साल नृसिंह की जयंती मनाई जाती है। माना जाता है कि वैसाख माह की चतुर्दशी को नृसिंह जी ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए अवतार लिया था। दुनिया में हिरण्यकशिपु के बढ़ते अत्याचार के लिए उसका नाश किया था। नृसिंह के इस अवतार में उनका शरीर आधे सिंह और आधे मनुष्य के रूप में हुआ था। आइए आपको बताते हैं नृसिंह भगवान की पूजा विधि और मंत्र-
दक्षिण भारत में होती है पूजा
वैसे तो नृसिंह भगवान की पूजा की जाती है मगर दक्षिण भारत में वैष्णव संप्रदाय के लोग इन्हें विपत्तियों के समय रक्षा करने वाले देवता के रूप में पूजते हैं। वैशाख माह के अंतिम दिन यानी वैशाख पूर्णिमा के दिन इनकी पूजा कि जाती है।
कब है नृसिंह जयंती
नृसिंह जयंती - 06 मईचतुर्दशी तिथि प्रारंभ - 11:22 PM-05 मईचतुर्दशी तिथि समाप्त - 07:44 PM - 6 मईनरसिंम्हा जयंती काल पूजा समय - 04:19 PM से 07:00 PM तक
नृसिंह पूजा विधि
1. नृसिंह जयंती कि दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों को करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।2. इसके बाद पूजा घर में भगवान नृसिंह और लक्ष्मी जी की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।3. इसके बाद पूजा में फल, पंचमेवा, केसर, रोल, नारियल, अक्षत, पीतांबर गंगाजल, काला तिल, पंच गव्य और हवन सामग्री का प्रयोग करें।4. भगवान नृसिंह की पूजा किसी सद्गुरु के सानिध्य में हो तो बेहतर।5. नृसिंह भगवान के साथ अपने ईष्ट देव का भी पूजन करें।
पढ़ें गायत्री मंत्र
नृसिंह की पूजा में गायत्री मंत्र का जाप जरूर करें। आप चाहें तो अपनी श्रद्धानुसार 5 या 7 बार गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं। इसके बाद जरूरतमंदों को दान भी जरूर करें। इसके अलावा नृसिंह की व्रत कथा पढ़कर भी आप उनकी कृपा पा सकते हैं।