लाइव न्यूज़ :

मुहर्रम 2018: ताजिया क्या है, मातमी जुलूस के बाद इसे कहां ले जाते हैं शिया मुस्लिम?

By उस्मान | Updated: September 21, 2018 08:30 IST

Muharram 2018: आपने देखा होगा कि मुहर्रम वाले दिन मुस्लिम समुदाय के लोग बड़े-बड़े ताजिये बनाकर झांकी निकालते हैं।

Open in App

आपने देखा होगा कि मुहर्रम वाले दिन मुस्लिम समुदाय के लोग बड़े-बड़े ताजिये बनाकर झांकी निकालते हैं। आपको बता दें कि ताजिया बांस की लकड़ी से तैयार किये जाते हैं और उन्हें रंग बिरंगे कागज, पन्नी और पलास्टिक के चांद सितारे और अन्य सजावट के सामानों से सजाया जाता है। भारत के कुछ शहरों में ताजिया बनाने के लिए अनाज और गेहूं का भी इस्तेमाल किया जाता है। ताजिया मस्जिद के मकबरे की आकार की तरह दिखता है। दरअसल इसे इमाम हुसैन की कब्र के प्रतीक के रूप में बनाया जाता है। मुस्लिम लोग इसके आगे बैठकर मातम करते और मर्सिये पढ़ते हैं। ग्यारहवें दिन जलूस के साथ मुस्लिम शान से उसे दफनाने जाते हैं। इसमें मातम भी मनाया जाता है और फक्र के साथ शहीदों को याद भी किया जाता है। कई क्षेत्रों में हिन्दू भी इस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है और ताजिया बनाते है। भारत में सब्से अच्छी ताजियादारी जावरा मध्यप्रदेश प्रदेश में होती है। यहां ताजिये बांस से नहीं बनते है बल्कि शीशम और साग्वान कि लकड़ी से बनाते है जिस पर कांच और माइका का काम होता है।

इस्लाम धर्म में चार पवित्र महीने होते हैं, उनमें से एक मुहर्रम का होता है। मुहर्रम शब्द में से हरम का मतलब होता है किसी चीज पर पाबंदी और ये मुस्लिम समाज में बहुत महत्व रखता है। मुहर्रम की तारीख हर साल बदलती रहती है। इस्लाम धर्म में शहादत के त्योहार मुहर्रम का बहुत अधिक महत्त्व है। इस्लामिक कैलेंडर के इस पहले महीने को पूरी शिद्दत के साथ मनाया जाता है। शिया मुस्लिम अपना खून बहाकर मातम मनाते हैं, सुन्नी मुस्लिम नमाज-रोज के साथ इबादत करते हैं। इस साल यानी 2018 में मुहर्रम 21 सितंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस महीने के पहले दस दिनों तक पैगंबर मुहम्मद के वारिस (नवासे) इमाम हुसैन की तकलीफों का शोक मनाया जाता है। हालांकि बाद में इसे जंग में दी जाने वाली शहादत के जश्न के रूप में मनाया जाता है। उनकी शहादत को ताजिया सजाकर लोग अपनी खुशी जाहिर करते हैं। मुहर्रम महीने के शुरूआती दस दिनों को आशुरा कहा जाता है।

मुहर्रम क्यों मनाया जाता है? मुहर्रम को मनाने का इतिहास काफी दर्दनाक है लेकिन इसे बहादुरी के तौर पर देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि सन् 61 हिजरी के दौरान कर्बला (जो अब इराक में है) यजीद इस्लाम का बादशाह बनना चाहता था। इसके लिए उसने आवाम में खौफ फैलाना शुरू कर दिया और लोगों को गुलाम बनाने लगा। लेकिन इमाम हुसैन और उनके भाईयों ने उसके आगे घुटने नहीं टेके और जंग में जमकर उससे मुकाबला किया। बताया जाता है कि इमाम हुसैन अपने बीवी बच्चों को हिफाजत देने के लिए मदीना से इराक की तरफ जा रहे थे, तभी यजीद की सेना ने उन पर हमला किया। इमाम हुसैन को मिलाकर उनके साथियों की संख्या केवल 72 थी जबकि यजीद की सेना में हजारों सैनिक थे। लेकिन इमाम हुसैन और उनके साथियों ने डटकर उनका मुकाबला किया। यह जंग कई दिनों तक चली और भूखे-प्यासे लड़ रहे इमाम के साथी एक-एक कर कुर्बान हो गए। हालांकि इमाम हुसैन आखिरी तक अकेले लड़ते रहे और मुहर्रम के दसवें दिन जब वो नमाज अदा कर रहे थे, तब दुश्मनों से उन्हें मार दिया। पूरे हौसलों के साथ लड़ने वाले इमाम मरकर भी जीत के हकदार हुए और शहीद कहलाए। जबकि जीतकर भी ये लड़ाई यजीद के लिए एक बड़ी हार थी। उस दिन से आज तक मुहर्रम के महीने को शहादत के रूप में याद किया जाता है। 

मुहर्रम में लोग खुद को जख्मी क्यों करते हैं? शिया मुस्लिम अपनी हर खुशी का त्याग कर पूरे सवा दो महीने तक शोक और मातम मनाते हैं। हुसैन पर हुए ज़ुल्म को याद करके रोते हैं। ऐसा करने वाले सिर्फ मर्द ही नहीं होते, बल्कि बच्चे, बूढ़े और औरतें भी हैं। यजीद ने इस युद्ध में बचे औरतों और बच्चों को कैदी बनाकर जेल में डलवा दिया था। मुस्लिम मानते हैं कि यजीद ने अपनी सत्ता को कायम करने के लिए हुसैन पर ज़ुल्म किए। इन्हीं की याद में शिया मुस्लिम मातम करते हैं और रोते हैं। इस दिन मातमी जुलूस निकालकर वो दुनिया के सामने उन ज़ुल्मों को रखना चाहते हैं जो इमाम हुसैन और उनके परिवार पर हुए। खुद को जख्मी करके दिखाना चाहते हैं कि ये जख्म कुछ भी नहीं हैं जो यजीद ने इमाम हुसैन को दिए।

टॅग्स :मुहर्रमइस्लाम
Open in App

संबंधित खबरें

भारत'अगर ज़ुल्म हुआ तो जिहाद होगा': जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रेसिडेंट मौलाना महमूद मदनी यह कहकर विवाद खड़ा किया

भारतपाकिस्तान में लापता हुई सरबजीत ने कबूला इस्लाम, स्थानीय शख्स से किया निकाह

पूजा पाठईश्वरीय चेतना जुबान ही नहीं, कर्मों से भी झलके

विश्वसीरिया में सांप्रदायिक संकट गहराया, संघर्ष विराम जारी रहने के कारण स्वेदा में 940 लोगों की मौत

क्राइम अलर्टइस्लाम कबूल कर वरना रेप केस..., शादी के बाद पत्नी ने दी धमकी, हिंदू युवक ने लगाया गंभीर आरोप

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार