इसलिए मनाई जाती है मकर संक्रांति, दान देने के अलावा भी जुड़ी है ये परंपरा

By धीरज पाल | Published: January 14, 2018 09:43 AM2018-01-14T09:43:08+5:302018-01-14T09:53:29+5:30

सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं, इसदिन किए गए कुछ खास उपायों से जीवन भर बनी रहती है भगवान सूर्य की कृपा।

makar sankranti importance and mythological story | इसलिए मनाई जाती है मकर संक्रांति, दान देने के अलावा भी जुड़ी है ये परंपरा

इसलिए मनाई जाती है मकर संक्रांति, दान देने के अलावा भी जुड़ी है ये परंपरा

आज (14 जनवरी) पूरे देश भर में मकर संक्रांति का अपनी परंपरागत तरीके से मनाई जा रही है। देश की पवित्र नदीयों पर स्नानार्थियों हुजुम उमड़ चुका है। दान, स्नान और सूर्य देव से जुड़ा है मकर संक्रांति त्यौहार। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है, जबकि उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इसी दिन सूर्य ग्रह का धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश होता है। माना जाता है कि जिस वक्त ग्रह धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है उस वक्त से देवताओं का दिन शुरू हो जाता है। 

'संक्रांति' क्या है?

 
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय सौर मास का होता है। वैसे तो सालभर में सूर्य संक्रांति 12 होती हैं, लेकिन इनमें से चार ही महत्वपूर्ण मानी जाती हैं जिनमें मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति शामिल हैं।

मकर संक्रांति का महत्व 

भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक नजरिए से मकर संक्रांति का बड़ा ही महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं, चूंकि शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है। लिहाजा यह पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है।

विष्णु की जीत पर मानाई जाती है मकर संक्रांति 

 
मकर संक्रांति मनाने के पीछे एक और पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार भगवान विष्णु और असुरों के बीच धरती लोक पर एक भीषण युद्ध हुआ था। युद्ध में भगवान विष्णु की जीत हुई और उन्होंने अंत में सभी दैत्यों के सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था।  जिस जगह पर भवान विष्णु ने असुरों के सिर गाड़े थे वो आज भारत के हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यहां की पहाड़ी पर एक मंदिर है जहां हर साल संक्रांति पर खास मेले का आयोजन किया जाता है और दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।    

मकर संक्रांति की लौकिक महत्व


कहा जाता है कि जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर चलता है, तब तक उसकी किरणें सेहत और मस्तिष्क के लिए खराब होती हैं। लेकिन जैसे ही सूर्य का उत्तर की ओर गमन होने लगता है, तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं। इस वजह से यह मान्यता प्रचलित है कि सूर्य के उत्तरायण होने पर साधु-संतों को समय से पहले ही सिद्धि की प्राप्ति होती है। अर्थात् यह समय साधना के लिए उत्तम होता है। इस मान्यता का प्रमाण इस महीने में भारत की सभी पवित्र नदियों के पास लगने वाले आध्यात्मिक मेले हैं, जहां साधु-संतों का बड़ा जमावड़ा देखने को मिलता है।

भगवद गीता में है जिक्र

 
खुद भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि उत्तरायण के 6 माह के शुभ काल में, जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं, तब पृथ्वी प्रकाशमय होती है, अत: इस प्रकाश में शरीर का त्याग करने से मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है और वह ब्रह्मा को प्राप्त होता है। महाभारत काल के दौरान भीष्म पितामह जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, उन्होंने भी मकर संक्रांति के दिन शरीर का त्याग किया था।

मकर संक्रांति पर परंपराएं

हिंदू धर्म में मीठे पकवानों के बगैर हर त्यौहार अधूरा सा है। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डू और अन्य मीठे पकवान बनाने की परंपरा है। तिल और गुड़ के सेवन से ठंड के मौसम में शरीर को गर्मी मिलती है और यह स्वास्थ के लिए लाभदायक है। ऐसी मान्यता है कि, मकर संक्रांति के मौके पर मीठे पकवानों को खाने और खिलाने से रिश्तों में आई कड़वाहट दूरी होती है और हर हम एक सकारात्मक ऊर्जा के साथ जीवन में आगे बढ़ते हैं। 

दान और पतंग उड़ाने की परंपरा

कहा यह भी जाता है कि मीठा खाने से वाणी और व्यवहार में मधुरता आती है और जीवन में खुशियों का संचार होता है। मकर संक्रांति के मौके पर सूर्य देव के पुत्र शनि के घर पहुंचने पर तिल और गुड़ की बनी मिठाई बांटी जाती है।

तिल और गुड़ की मिठाई के अलावा मकर संक्रांति के मौके पर पतंग उड़ाने की भी परंपरा है। गुजरात और मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में मकर संक्रांति के दौरान पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर बच्चों से लेकर बड़े तक पतंगबाजी करते हैं। पतंग बाजी के दौरान पूरा आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से गुलजार हो जाता है।

पवित्र नदियों में स्नान  की परंपरा

मकर संक्रांति के मौके पर देश के कई शहरों में मेले लगते हैं। खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत में बड़े मेलों का आयोजन होता है। इस मौके पर लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य पावन नदियों के तट पर स्नान और दान, धर्म करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि, जो मनुष्य मकर संक्रांति पर देह का त्याग करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जीवन-मरण के चक्कर से मुक्त हो जाता है।

Web Title: makar sankranti importance and mythological story

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे