Makar Sankranti 2022 Date: कब है मकर संक्रांति, जानें तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
By रुस्तम राणा | Updated: January 7, 2022 15:02 IST2022-01-07T15:01:56+5:302022-01-07T15:02:32+5:30
मकर संक्रांति पर्व इस साल 14 जनवरी, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इसी दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे और मकर राशि में प्रवेश करेंगे।

मकर संक्रांति 2022
Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं और सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। सूर्य जिस भी राशि में जाते हैं उसी राशि के नाम से संक्रांति का नाम पड़ जाता है। मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहा गया है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आते हैं। मकर संक्रांति के दिन ही एक महीने से चला आ रहा खरमास भी समाप्त होता है और मांगलिक कार्य पुनः शुरू होते हैं। मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान और फिर दान देने की परंपरा है। भगवान सूर्य की उपासन का महत्व विशेष है।
कब है मकर संक्रांति 2022 ?
मकर संक्रांति पर्व इस साल 14 जनवरी, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इसी दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे और मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
मकर संक्रांति मुहूर्त 2022
जनवरी पुण्य काल मुहूर्त : 2 बजकर 12 मिनट से शाम 5 बजकर 45 मिनट तक (14 जनवरी 2022)
महापुण्य काल मुहूर्त : 2 बजकर 12 मिनट से 2 बजकर 36 मिनट तक (14 जनवरी 2022)
मकर संक्रांति पूजा विधि
मकर संक्रांति के दिन तड़के उठकर स्नान आदि करना चाहिए। इसके लिए आप किसी पवित्र नदी में जा सकते हैं। अगर नदी की ओर जाना संभव नहीं है तो घर में पानी में तिल डाल कर स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को जल चढ़ाने की परंपरा है। सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल, चंदन, तिल और गुड़ रख लें। जल के इसी मिश्रण को सूर्य देव को अर्पित करें। भगवान सूर्य को जल अर्पित करते हुए 'ॐ सूर्याय नम:' मंत्र का भी जाप करना चाहिए। साथ ही इसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार वस्त्र और अन्न आदि दान करना चाहिए। तिल के दान का महत्व खास है। साथ ही चावल, दाल, खिचड़ी का दान भी बहुत शुभ माना गया है। इसके अलावा ब्रहामण को भोजन कराने की भी परंपरा है।
मकर संक्रांति का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है, लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के मिलन का भी त्योहार है। एक अन्य कथा के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है। कहते हैं मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाता है।