Belpatra Importance In Mahashivratri: इस साल महाशिवरात्रि 8 मार्च को है। महाशिवरात्रि पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन यानी फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इस दिन ही भगवान शिव लिंग स्वरुप में प्रकट हुए थे। भगवान सदाशिव ने परम ब्रह्म स्वरुप से साकार रूप धारण किया था।
यही कारण है कि महाशिवरात्रि पर शिवभक्त भोलेनाथ को मनाने के लिए अनेकानेक अनुष्ठान करते हैं। शिवपूजन में कैलाशपति को बेलपत्र अर्पित किया जाता है। बेलपत्र उन्हें बेहद प्रिय है। लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान शिव को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है। आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे का पौराणिक महत्व।
शिवजी को बेल पत्र चढ़ाने का पौराणिक महत्व
शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने का संबंध हिन्दू पौराणिक कथाओं में मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि जब देव और दानव के मध्य में समुद्र मंथन हुआ तो उनमें से हलाहल (कालकूट) समेत 14 रत्न निकलें। हलाहल एक प्रकार का अति तापीय विष था, जिसके अस्तित्व से समस्त सृष्टि के लिए संकट पैदा हो गया। समस्त संसार उसके ताप को सहन करने में असमर्थ था। तब सभी ने भगवान शिव की आराधना की और उनसे हलाहल विष के निवारण हेतु मदद मांगी।
तब सृष्टि की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने उस हलाहल विष पी लिया। विष का ताप इतना था कि उसका प्रभाव कम नहीं हुआ और महादेव का कंठ नीला पड़ गया। तब देवताओं ने महादेव को बेलपत्र और जल अर्पित किया। बेलपत्र के प्रभाव से विष का ताप कम होने लगा।
बेलपत्र दरअसल ताप को कम करने में सहायक होता है। देवताओं के बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव का ताप कम हुआ और उन्होंने प्रसन्न होकर सभी को आशीर्वाद दिया कि अब से जो भी मुझे बेलपत्र अर्पित करेगा उसकी मैं हर मनोकामना पूरी करूंगा। तभी से भगवान शिव या उनका एक स्वरूप शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा चलती चली आ रही है।