महाभारत: युद्ध के बाद श्रीकृष्ण जब द्वारिका लौटने लगे तो कुंती ने उपहार में उनसे मांगा दुख! आखिर क्यों, जानिए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 17, 2020 03:13 PM2020-01-17T15:13:04+5:302020-01-17T15:13:04+5:30
महाभारत: द्वारिका जाने के लिए श्रीकृष्ण जब पांडवों से विदा ले रहे थे तब वे सभी को अपनी ओर से कुछ न कुछ उपहार भी दे रहे थे। इसी क्रम में श्रीकृष्ण अपनी बुआ और पांडवों की माता कुंती के पास भी गये।
महाभारत का युद्ध खत्म हो चुका था। दुर्योधन मारा जा चुका था और युधिष्ठिर ने भी हस्तिनापुर की राजगद्दी संभाल ली थी। हस्तिनापुर में अब सबकुछ सामान्य गति से चलने लगा तो एक दिन श्रीकृष्ण को भी अपनी द्वारिका नगरी की याद आई। भगवान कृष्ण ने पांडवों के सामने अपने द्वारिका लौटने की इच्छा जताई।
श्रीकृष्ण के वापस द्वारका लौटने की इच्छा की बात सुनकर सभी को बहुत दुख हुआ। सभी ने कृष्ण ने कुछ और दिन रूकने की मिन्नतें की लेकिन वे जल्द से जल्द अपनी नगरी जाने की बात पर अड़े रहे और लौटने की तैयारी शुरू कर दी।
द्वारिका जाने के लिए श्रीकृष्ण जब पांडवों से विदा ले रहे थे तब वे सभी को अपनी ओर से कुछ न कुछ उपहार भी दे रहे थे। इसी क्रम में श्रीकृष्ण अपनी बुआ और पांडवों की माता कुंती के पास भी गये। श्रीकृष्ण ने अपनी बुआ से कहा कि वे भी कुछ न कुछ मांग ले। आपने आज तक मुझसे कुछ नहीं मांगा है।
श्रीकृष्ण के जाने की बात सुनकर कुंती के आंखों में भी आंसु आ गये। कुंती ने कृष्ण से कहा कि अगर तुम मुझे कुछ देना ही चाहते हो तो दुख दे दो। ये बात सुनकर श्रीकृष्ण ने उनसे पूछा कि आखिर वे दुख क्यों चाहती हैं?
कुंती ने इस पर कृष्ण से कहा कि हमारे जीवन में जब भी दुख आया हमने तुम्हें पूरे मन से याद किया और तुम भी हर पल हमारे साथ रहे। हम केवल बुरे समय में ही हम तुम्हारा ध्यान कर पाते हैं। सुख के दिनों में तुम्हारी याद तो कभी-कभी ही आती है। अगर जीवन में दुख रहा तो मैं हमेशा तुम्हारी पूजा करूंगी, तुम्हारा ध्यान करूंगी।