एक हैरान करने वाली झील जहां से होकर जाता है स्वर्ग का रास्ता, यहीं हुई थी भीम की मृत्यु
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 17, 2019 01:40 PM2019-12-17T13:40:03+5:302019-12-17T13:40:03+5:30
आम तौर पर हम जितने भी झील देखते हैं वे या तो गोल या फिर लंबाई के आकार वाले होते हैं। हालांकि, सतोपंथ झील की बनावट इन सबसे एकदम अलग है।
उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है। भारत का ये एक ऐसा राज्य है जहां कदम-कदम पर कुछ न कुछ ऐसा मिल जाता है तो न केवल रहस्यमयी है बल्कि उसका जिक्र भी पौराणिक कथा-कहानियों में मिलता है। इन्हीं में से एक है स्वर्गरोहिणी ग्लेशियर और सतोपंथ झील की कहानी।
स्वर्गरोहिणी ग्लेशियर वह जगह है जिसके बारे में मान्यता है कि यहां स्वर्ग की ओर जाने वाली सीढ़ियां मौजूद हैं। वहीं, सतोपंथ झील वह जगह है जहां महाभारत काल में पांडवों के स्वर्ग की ओर जाते हुए भीम की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद इसी झील के कुछ दूर बाद स्वर्ग से एक विशेष रथ आया जो युधिष्ठिर को सशरीर स्वर्ग ले गया। आईए, सबसे पहले जानते हैं सतोपंथ झील के बारे में...
हैरान करती है सतोपंथ झील की बनावट
आम तौर पर हम जितने भी झील देखते हैं वे या तो गोल या फिर लंबाई के आकार वाले होते हैं। हालांकि, सतोपंथ झील की बनावट इन सबसे एकदम अलग है। ये तिकोना आकार का है। मान्यताओं के अनुसार यहां एकादशी पर त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश अलग-अलग कोनों पर खड़े होकर डुबकी लगाते हैं। इसलिए इसका आकारा त्रिभुज का है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत काल में पांडवों ने भी स्वर्ग जाने के रास्ते में इसमें स्नान किया था।
इसलिए इसका नाम सतोपंथ पड़ गया। हर साल कई लोग इस झील को देखने आते हैं। इस झील के पास मना नाम का एक गांव है। इसी गांव से आगे बढ़ने के बाद सतोपंथ झील और स्वर्गरोहिणी ग्लेशियर का रास्ता शुरू होता है।
स्वर्गरोहिणी ग्लेशियर पर क्या वाकई है स्वर्ग जाने की सीढ़ी
गर्मियों के दिन में सतोपंथ झील के पास की साधु-संत और सैलानी मिल जाएंगे। यहां से आगे बढ़ने के बाद चंद्रकुंड और सूर्य कुंड आते हैं और इसके बाद स्वर्गरोहिणी ग्लेशियर की यात्रा शुरू होती है। मान्यता है कि यहां सात सीढ़ियां हैं जो किसी भी इंसान को सशरीर स्वर्ग ले जा सकती हैं। हालांकि, बर्फ और कोहरे की घनी चादर के बीच तीन सीढ़िया ही नजर आती हैं।