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Lohri 2022: दुल्ला भट्टी के बिना अधूरी है लोहड़ी, जानें क्या है इससे जुड़ी कहानी

By रुस्तम राणा | Updated: January 7, 2022 16:33 IST

इस साल 13 जनवरी, गुरुवार को लोहड़ी पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व मुख्य रूप से पंजाब समेत पूरे उत्तर भारत में बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जाता है।

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Dulla Bhatti Story of Lohri in Hindi: लोहड़ी मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनायी जाती है। इस साल 13 जनवरी, गुरुवार को लोहड़ी पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व मुख्य रूप से पंजाब समेत पूरे उत्तर भारत में बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जाता है। 

इन लोगों के लिए खास है लोहड़ी

पंजाबियों के लिए लोहड़ी उत्सव खास महत्व रखता है। खासकर जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उन्हें विशेष तौर पर बधाई दी जाती है। घर में नव वधू या बच्चे की पहली लोहड़ी बहुत खास होती है। इस दिन बड़े प्रेम से बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है। लोहड़ी का जश्न लोग अपने परिवार, रिश्‍तेदारों, करीबियों और पड़ोसियों के साथ मिलकर मनाते हैं। 

भांगड़ा और गिद्दा डांस होता है जमकर

रात के समय खुले आसमान के नीचे आग जलाई जाती है। इस मौके पर ढोल की ताल पर भांगड़ा और गिद्दा नृत्य किया जाता है। गीतों में दुल्ला भट्टी के गीत गाए जाते हैं। दुल्ला भट्टी इस पर्व का मुख्य किरदार है। इसके बिना यह त्योहार अधूरा है। आइए जानते हैं दुल्ला भट्टी कौन है? क्या है इसकी कहानी?

दुल्ला भट्टी की कहानी

पंजाब में दुल्ला भट्टी से जुड़ी एक प्रचलित लोककथा है। ऐसा कहा जाता है कि मुगल काल में बादशाह अकबर के समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक युवक पंजाब में रहता था। उस समय कुछ अमीर व्यापारी कुछ समान के बदले इलाके की लड़कियों का सौदा कर रहे थे। तभी दुल्ला भट्टी ने वहां पहुंचकर लड़कियों को व्यापारियों के चंगुल से मुक्त कराया और फिर इन लड़कियों को बचाकर इनकी शादी करवाई। 

मिली नायक की उपाधि

इस घटना के बाद से दुल्हा को भट्टी के नायक की उपाधि दी गई और हर बार लोहड़ी पर उसी की याद में कहानी सुनाई जाती है। कहते हैं कि तभी से हर साल लोहड़ी के त्यौहार पर  उनकी कहानी सुनाने और सुनने की परंपरा चली आ रही है। दुल्ला भट्टी की कहानी सुनाए बिना लोहड़ी का त्योहार पूरा नहीं माना जाता।

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