कुंभ 2019: योगी सरकार ने झोंक दी पूरी ताकत लेकिन पिछले आयोजनों से कितना अलग है इसबार का कुंभ?
By आदित्य द्विवेदी | Published: February 14, 2019 08:20 AM2019-02-14T08:20:53+5:302019-02-14T08:20:53+5:30
सरकार का दावा है कि कुंभ 2019 के लिए करीब चार हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। पिछले आयोजनों से कितना अलग है इसबार का कुंभ, पढ़िए विशेष कुंभ...
'उत्तर प्रदेश सरकार ने कुम्भ मेला 2019 के लिए "दिव्य कुम्भ एवं भव्य कुम्भ" की परिकल्पना की है। कुम्भ मेला में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को अविस्मरणीय तीर्थयात्रा का अनुभव कराने का संकल्प लिया है। कुम्भ की पौराणिक परम्पराओं की अनुभूति का महान समागम अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से करायी जायेगी, जिससे कि कल्पवासीगण, आध्यात्मिक गुरूजनों, विशिष्ट व्यक्तिगण, विदेशी दर्शकगण एवं तीर्थयात्रीगण एक जीवन मोक्षदायिनी दर्शन का दिव्य एवं भव्य अनुभव प्राप्त कर सकें।'
ये संदेश है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का। सरकार का दावा है कि उन्होंने कुंभ के आयोजन के लिए 4200 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह रकम पिछले कुंभ के आयोजन के मुकाबले तीन गुना ज्यादा बताई जा रही है। सरकार की पूरी ताकत झोंकने के बाद पिछले आयोजनों के मुकाबले इसबार का कुंभ कितना अलग है। पहले सरकारी दावों पर एक नजर डालते हैंः-
- 3200 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इस बार कुंभ नगरी बसायी गई है। 120 सेक्टर के मेलाक्षेत्र को बांटकर प्रशासनिक इंतजाम किए गए हैं। 2013 में 14 सेक्टर में कुल 1936 हेक्टेयर में मेला बसाया गया था।
- 450 से अधिक बेड वाले 22 अस्पताल, 150 एम्बुलेंस और लगभग 2000 मेडिकल स्टाफ मेला क्षेत्र में तैनात हैं जो कुंभ के दौरान चिकित्सा आवश्यकताओं और स्वास्थ्य सेवा संबंधी आपात स्थितियों का ध्यान रख रहे हैं।
- 22 पांटून पुल गंगा-यमुना पर तीर्थयात्रियों के लिए बनाए गए हैं। 250 किमी की चकर्ड प्लेट सड़कें मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं को सुगम आवागमन के लिए बनाई गई हैं।
- 217 शटल बसें शहर और मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिए चलाई जा रही है, साथ ही 500 ई-रिक्शा तैनात किए गए हैं। रेलवे ने दर्जनों स्पेशन ट्रेनें चला रखी है।
- बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए पांच लाख वाहनों की क्षमता वाले पार्किंग स्थल बनाए गए। ये पार्किंग स्थल शहर के चारों तरफ शहर के प्रवेश मार्गों पर बने हैं।
- 8 किमी में संगम के घाटों का विकास किया गया है। महिलाओं के लिए लगभग दो हजार चेंजरूम, नदी की बैरिकेडिंग व जेटी सुविधाएं की गई हैं।
- 40 हजार से अधिक एलईडी लाइटें लगाई गई हैं जो कि नदी के किनारे व पूरे मेला क्षेत्र को आकर्षक बना रही हैं।
- 25 हजार से अधिक सुरक्षाकर्मी त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था को संभाल रहे हैं।
इन सुविधाओं के बारे में जानकर लगता है इसबार का आयोजन सचमुच दिव्य और भव्य है। लेकिन कोई भी आयोजन तब तक सफल नहीं माना जा सकता जबतक लोग उसकी तारीफ ना करें।
जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर पायलट बाबा इस बार के आयोजन को राजनीतिक कुंभ बताते हैं। उनका कहना है कि कुंभ में राजनीतिक दखलंदाजी काफी बढ़ गई है जो कि सही नहीं है। सत्ता का काम अलग है और धर्म का अलग है।
महामंडलेश्वर शैलेशानंद का कहना है कि ये आर्थिक कुंभ है। सरकार मुनाफा कमाने पर फोकस कर रही है और इस वजह से साधु-संतों और आम कल्पवासियों की सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा गया है।
प्रयागराज निवासी हर्षवर्धन बौद्ध विहार के निदेशक डॉ जीएस शाक्य कहते हैं कि इसबार का कुंभ वीवीआईपी कुंभ है। सारी सुविधाओं में वीवीआईपी का ख्याल रखा गया है। बजट का अनाप-शनाप अपव्यय किया गया है। पेंट माय सिटी के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए गए हैं।
फतेहपुर से कल्पवास करने आए संतोष कुमार द्विवेदी का मानना है कि कल्पवासियों को दूर-दराज जमीन आवंटित की गई है। इससे उन्हें संगम स्नान को आने के लिए कई किलोमीटर चलना पड़ता है। सरकार ने सार्वजनिक शौचालय तो बहुत बनाए लेकिन उनकी साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था नहीं की गई। इसलिए प्राइवेट शौचालय बनवाना पड़ा जिसका चार्ज पांच हजार से ज्यादा है।