केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के पीछे की कहानी क्या है? 400 साल दबा रहा बर्फ में, जानिए मंदिर के बारे में रोचक तथ्य

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 29, 2024 16:24 IST2024-07-29T16:21:28+5:302024-07-29T16:24:14+5:30

उत्तराखंड की ऊंची पहाड़ियों में बसा भगवान शिव का धाम केदारनाथ को द्वादश ज्योतिर्लिंगों में 11वां माना जाता है। मंदिर कम से कम 1200 साल पुराना माना जाता है। खास बात यह है कि इस मंदिर के निर्माण के लिए प्रयोग किया गया पत्थर वहां उपलब्ध नहीं है।

Kedarnath Jyotirlinga Interesting facts History of Kedarnath Lord Shiva Special features of Temple | केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के पीछे की कहानी क्या है? 400 साल दबा रहा बर्फ में, जानिए मंदिर के बारे में रोचक तथ्य

केदारनाथ में बैल की पीठ के रूप में स्थापित शिवलिंग की पूजा होती है

Highlightsकेदारनाथ मंदिर समुद्र तल से 3582 मीटर की ऊंचाई पर हैमंदिर कम से कम 1200 साल पुराना माना जाता हैमंदिर 14वीं सदी से लेकर 17वीं सदी के मध्य तक पूरी तरह से बर्फ में दब गया था

Kedarnath Jyotirlinga: उत्तराखंड की ऊंची पहाड़ियों में बसा भगवान शिव का धाम केदारनाथ को द्वादश ज्योतिर्लिंगों में 11वां माना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी किंवदंतियां और रहस्य आज भी लोगों को आकर्षित करते हैं। माना जाता है कि कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से 3582 मीटर की ऊंचाई पर है। 

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के पीछे की कहानी क्या है?

इस प्रसिद्ध पूजा स्थल के पीछे किंवदंती यह है कि महाभारत युद्ध के बाद, पांडवों ने अपने रिश्तेदारों की हत्या के पापों को शुद्ध करने के लिए तपस्या की थी। उन्हें भगवान शिव से क्षमा मांगने की सलाह दी गई। लेकिन भगवान शिव पांडवों को माफ करने को तैयार नहीं थे और इसलिए उन्होंने खुद को उनसे छिपा लिया। पांडव महादेव को खोजते रहे। पांडवों को जब पता चला कि भगवान शिव ऊंचे पहाड़ों में चले गए हैं तो वह भी उनके पीछे-पीछे वहां पहुंच गए।

भगवान शिव ने यहां बैल का रूप धारण किया। अब पांडवों के सामने बड़ी दुविधा थी कि इतने बैलों में भगवान शिव को कैसे पहचानें। तभी भीम ने देखा कि सभी बैल दो पहाड़ों के बीच से बने एक रास्ते से निकल रहे हैं। भीम ने विशालकाय शरीर धारण कर दो पहाड़ों पर अपने पैर फैला दिए। अब भीम के पैरों के नीचे से बाकी पशु तो निकल गए लेकिन महादेव रुक गए। भीम को समझ में आ गया कि यही शिव हैं। वह उनकी ओर बढ़े तो बैल का रूप धारण किए शिव जमीन में समाने लगे। भीम और बाकी पांडव भाइयों ने उन्हें रोकने की खूब कोशिश की। अंत में केवल पीठ का हिस्सा ही बचा। 

भगवान शिव पांडवों की ईच्छाशक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देकर हत्या के पाप से मुक्त किया। तब से केदारनाथ में बैल की पीठ को शिव का रूप मानकर उनकी पूजा होती है। मान्यता है कि भगवान शिव बैल के रूप में अन्य जगहों पर भी प्रकट हुए। केदारनाथ में कूबड़, तुंगनाथ में भुजाएँ, मध्यमहेश्वर में नाभि और पेट, रुद्रनाथ में चेहरा, और कल्पेश्वर में बाल और सिर प्रकट हुआ। पांडवों ने शिव की पूजा के लिए इन पांच स्थानों - पंच केदार - पर मंदिर बनाए। इससे वे पापों से मुक्त हो गये। भगवान शिव ने  ज्योतिर्लिंग के रूप में पवित्र स्थान पर रहने का वादा किया। यही कारण है कि केदारनाथ इतना प्रसिद्ध है और भक्तों द्वारा पूजनीय है।

केदारनाथ मंदिर के बारे में रोचक तथ्य

चूँकि केदारनाथ इतनी ऊँचाई पर स्थित है, सर्दियाँ भीषण होती हैं, जिससे मंदिर तक पहुँचना दुर्गम हो जाता है। इसलिए, यह केवल अप्रैल और नवंबर के बीच जनता के लिए खुला रहता है। यह हर साल कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) के पहले दिन बंद होता है और वैशाख (अप्रैल-मई) में खुलता है। सर्दियों के दौरान, केदारनाथ मंदिर से मूर्तियों को उखीमठ लाया जाता है और छह महीने तक वहां पूजा की जाती है।

2013 की बाढ़ में, जबकि निकटवर्ती क्षेत्र गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए थे, केदारनाथ मंदिर स्वयं प्रभावित नहीं हुआ था। केदारनाथ पंच केदारों में प्रथम है। प्रचलित है कि मंदिर का जीर्णोद्धार जगद्गुरु आदि शंकराचार्य[10] ने करवाया था। मंदिर के पृष्ठभाग में शंकराचार्य जी की समाधि है। मंदिर कम से कम 1200 साल पुराना माना जाता है। खास बात यह है कि इस मंदिर के निर्माण के लिए प्रयोग किया गया पत्थर वहां उपलब्ध नहीं है। यानी इसे कहीं और से लाया गया था। मंदिर 14वीं सदी से लेकर 17वीं सदी के मध्य तक पूरी तरह से बर्फ में दब गया था। हालांकि, मंदिर के निर्माण को कोई नुकसान नहीं हुआ।

Web Title: Kedarnath Jyotirlinga Interesting facts History of Kedarnath Lord Shiva Special features of Temple

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