उज्जैनः करवा चौथ के त्योहार पर जब महिलाएं चांद को छलनी से एक झलक देखकर पति के हाथ से पानी पीती है, तो वही करवा उसकी आस्था का केंद्र बन जाता है , और इस आस्था को आकार देने वाले होते हैं हमारे मिट्टी के कलाकार, कुम्हार समाज के कारीगर। पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही यह कला न सिर्फ रोजगार का माध्यम है, बल्कि संस्कृति को जीवित रखने का प्रतीक भी है। करवा चौथ के त्योहार की रौनक में इस बार फिर कुंभकार समाज की मेहनत और परंपरा की चमक दिखाई दे रही है। मिट्टी से बने करवे जो कभी सादगी और श्रद्धा का प्रतीक हुआ करते थे।
अब नए रंग, डिज़ाइन और आकर्षण के साथ बाजारों में छा गए हैं। कुम्हार समाज के घरों में करवा बनाने का काम पूरे जोश के साथ किया जाता है। बुजुर्ग कुम्हार बताते हैं, “पहले के समय में करवे सादे मिट्टी के होते थे। महिलाएं इन्हें पूजा में इस्तेमाल कर चंद्रमा को अर्घ्य देती थीं। आजकल लोग धातु के करवे खरीदते हैं, लेकिन मिट्टी के करवे का धार्मिक महत्व आज भी सबसे ऊपर है।”
समाज की महिलाओं और युवाओं ने अब इस पारंपरिक करवे में आधुनिकता का रंग भर दिया है। सुंदर पेंटिंग, फूलों की कलाकृतियाँ और डिजाइनदार ढक्कन , ये सब करवा चौथ के बाजारों में खरीदारों को खूब लुभा रहे हैं। पहले जो करवा 15 से 25 रुपए में बिक जाता था, वही अब 50 रुपए में बिक रहा है।
पतियों के हाथ के करवे से जल ग्रहण के लिए व्रत की तैयारी करने वाली महिलाओं का कहना है कि शासन को ऐसे कारीगरों के लिए योजनाएं बनाकर उन्हें सम्मान और प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि वे परंपरा को जीवित रखे रहें और समाज में यह संस्कृति पीढ़ियों तक कायम रहे।
दुर्लभ,शुभ एवं अद्भुत योगों का संयोग-
सुहागिनों के सबसे बड़े पर्व करवा चौथ को लेकर एक बहुत ही शुभ खबर सामने आई है। यह पावन व्रत कई दुर्लभ और अत्यंत शुभ योगों के महासंयोग में मनाया जाएगा। पंचांग गणना के अनुसार, इस वर्ष करवा चौथ के दिन सिद्धि योग के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और रोहिणी नक्षत्र का अद्भुत मेल बन रहा है।
ज्योतिष शास्त्र में इन योगों को किसी भी शुभ कार्य और विशेष पूजा-अर्चना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। मान्यता है कि ऐसे शुभ संयोग में किया गया व्रत-पूजन कई गुना अधिक फलदायी होता है। जो व्रत करने वाली महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि लेकर आएगा।
वृषभ राशि में रहेगा चांद दर्शन के समय
करवा चौथ पर चंद्रमा का अपनी उच्च राशि में होना सौभाग्य, शीतलता और मन की शांति में वृद्धि करता है। इस बार करवा चौथ पर चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में विराजमान रहेंगे। करवा चौथ पर चंद्र दर्शन करना व्रती महिलाओं के लिए मनवांछित फल प्रदान करने वाला सिद्ध होगा।
ऐसा रहेगा शुभ मुहूर्त
करवा चौथ पर शुभ महासंयोग सभी विवाहित महिलाओं के लिए पति की दीर्घायु की कामना और दांपत्य जीवन में मधुरता घोलने का सनातनी सुअवसर है। इस बार 10 अक्टूबर शुक्रवार को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5.57 बजे से 7.11 बजे तक रहेगा, और चंद्रोदय का समय रात 8.13 बजे के आसपास रहने का अनुमान है।