Karva Chauth 2019: करवाचौथ आज, पढ़िए इसकी व्रत कथा

By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: October 17, 2019 08:30 AM2019-10-17T08:30:19+5:302019-10-17T08:30:19+5:30

करवाचौथ का व्रत रखना हर सुहागिन के लिए सौभाग्य की बात होती है. दिन भर निर्जला व्रत रखकर रात को चाँद के दर्शन करके अपना व्रत खोलती है.

Karva Chauth Vrat Katha in Hindi | Karva Chauth 2019: करवाचौथ आज, पढ़िए इसकी व्रत कथा

Karva Chauth 2019: करवाचौथ आज, पढ़िए इसकी व्रत कथा

Highlightsइस साल करवाचौथ 17 अक्टूबर को पड़ रहा है।करवाचौथ के दिन विवाहित महिलाएं गौरी और गणेश की विधि-विधान से पूजा करती हैं।

करवाचौथ का व्रत रखना हर सुहागिन के लिए सौभाग्य की बात होती है. दिन भर निर्जला व्रत रखकर रात को चाँद के दर्शन करके अपना व्रत खोलती है. इस साल ये व्रत 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा. व्रत में कथा सुनेने और पड़ने का विशेष महत्व है. आज यहां हम आपको करवाचौथ की व्रत कथा बताने जा रहे हैं. जिसे आप पूजा के समय पढ़ सकती हैं.

करवाचौथ की व्रत कथा

एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी. एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उनकी  सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा. रात  के समय जब साहूकार के सभी बेटे  भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा.  इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है. चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी. साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे, अपनी बहिन को भूखा देखकर उन्हें बहुत दुःख हुआ.  साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी.

घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है. अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं।

साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की से अप्रसन्न हो गए. गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया. 

साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ. उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया.  इस प्रकार उस लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत भगवान गणेश जी उसपर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया. उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया।

Web Title: Karva Chauth Vrat Katha in Hindi

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