आजमगढ़ में निरहुआ को हराने में जुटा मुलायम परिवार! अखिलेश के दोनों चाचा और बेटी अदिति भी कर रही प्रचार
By राजेंद्र कुमार | Published: May 22, 2024 07:20 PM2024-05-22T19:20:17+5:302024-05-22T19:23:45+5:30
आजमगढ़ यादव सियासत का केंद्र रहा है। आजमगढ़ के आसपास के इलाके वाली सीटों पर भी यादव वोटर काफी अहम हैं। आजमगढ़ लोकसभा सीट पर करीब 19 लाख मतदाता हैं, जिसमें सबसे ज्यादा करीब साढ़े चार लाख यादव वोट हैं।
लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के सीनियर नेता शिवपाल सिंह यादव का दावा है कि मोदी-योगी सरकार चाहे कितना भी जोर लगा ले लेकिन वह आजमगढ़ में सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव को जीतने से रोक नहीं पाएगी। आजमगढ़ सीट पर हुए उपचुनाव में जीते भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिनेश लाल यादव निरहुआ इस बार चुनाव हारेंगे। सामाजिक न्याय की पॉलिटिक्स का प्रयोगशाला मानी जाने वाली आजमगढ़ सीट से धर्मेंद्र यादव को इस क्षेत्र की जनता जिता रही है। शिवपाल सिंह यादव अखिलेश यादव के साथ आजमगढ़ पहुंचे थे और आजमगढ़ में ही कैंप कर वह धर्मेंद्र यादव के चुनाव प्रचार का प्रबंधन करेंगे। शिवपाल के अलावा डिंपल यादव भी आजमगढ़ में चुनाव प्रचार करते हुए दिखाई देगी। जल्दी ही प्रोफेसर रामगोपाल और आजमगढ़ पहुंचेंगे।
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) May 22, 2024
कुल मिलाकर यह कहा जा रहा है कि आजमगढ़ और उसके आसपास की सीटों पर सपा उम्मीदवारों की जीत को सुनिश्चित करने के लिए मुलायम सिंह का पूरा कुनबा आजमगढ़ में जुटेगा। यह सीट सपा की परंपरागत सीटों में एक रही है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने यहीं से मुस्लिम-यादव (एमवाई) समीकरण को अमली जामा पहनाने कि कामयाब शुरुआत की थी। मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव तक इस सीट से सांसद रह चुके हैं। मोदी लहर होने के बावजूद वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में भाजपा यह सीट नहीं जीत सकी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव इस सीट से चुनाव जीते थे लेकिन उनके इस्तीफा देने के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा दिनेश लाल यादव निरहुआ के जरिए इस सीट पर कमल खिलाने में कामयाब रही। उस उप चुनाव में धर्मेंद्र यादव का आजमगढ़ से हारना सपा और मुलायम परिवार के लिए बड़ा झटका था। फिलहाल उस हार का हिसाब चुकता करने के लिए सपा ने धर्मेंद्र यादव को फिर से इस सीट पर चुनाव मैदान में उतारा है। समाजवादी परिवार इस बार धर्मेंद्र यादव की जीत के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहता है, इसलिए चुनाव के काफी पहले ही अखिलेश ने शाह आलम गुड्डू जमाली को सपा में ले आए। आजमगढ़ के ही रहने वाले गुड्डू जमली बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। मुस्लिम समाज में उनका काफी प्रभाव है।
मुलायम कुनबे ने आजमगढ़ में किया कैंप
भाजपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) दोनों ही सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव को तगड़ी चुनौती देने का प्रयास कर रहे हैं। सीएम योगी की दो चुनावी सभाएं यहां हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री भी यहां रैली करने आएंगे। बसपा ने इस सीट पर मशहूद अहमद को खड़ा कर सपा के मुस्लिम वोटों में सेध लगाने की सोची है। भाजपा और बसपा की ऐसी तैयारियों को देखते हुए ही मुलायम परिवार का पूरा कुनबा ही यहां डेरा जमाने पहुंच गया है। धर्मेंद्र यादव को जिताने के लिए उनके चाचा शिवपाल यादव से लेकर प्रो. रामगोपाल यादव भी आजमगढ़ में चुनाव प्रचार करने में जुटे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और डिंपल यादव ने आजमगढ़ में मंगलवार से ताबड़तोड़ रैलियां की। बुधवार को भी अखिलेश आजमगढ़ के बिलरियागंज और सिधारी क्षेत्र में जनसभा करने पहुंचे। शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव जिन्होने बदायूं सीट से चुनाव लड़ा है वह भी आजमगढ़ में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव की लंदन में पढ़ रही बेटी अदिति यादव भी आजमगढ़ में डोर-टू-डोर कैंपेन कर रही है। धर्मेंद्र यादव ने नामांकन के बाद से आजमगढ़ में डेरा जमा रखा है।
आजमगढ़ सीट का सियासी समीकरण
आजमगढ़ यादव सियासत का केंद्र रहा है। आजमगढ़ के आसपास के इलाके वाली सीटों पर भी यादव वोटर काफी अहम हैं। आजमगढ़ लोकसभा सीट पर करीब 19 लाख मतदाता हैं, जिसमें सबसे ज्यादा करीब साढ़े चार लाख यादव वोट हैं। मुस्लिम और दलित तीन-तीन लाख हैं, जबकि शेष अन्य जाति के हैं। ओबीसी में यादव समाज सपा का कोर वोटर है, तो वहीं दलितों में बसपा का मूल वोट बैंक माने जाने वाले जाटवों की संख्या अधिक है।