Jyeshth Purnima 2020: ज्येष्ठ पूर्णिमा आज, पूजा करते समय जरूर ध्यान दें ये 1 बात
By मेघना वर्मा | Published: June 5, 2020 11:39 AM2020-06-05T11:39:35+5:302020-06-05T11:39:35+5:30
वट सावित्री व्रत वाले दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है।
आज ज्येष्ठ पूर्णिमा है। इसे वट पूर्णिमा भी कहा जाता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार कुछ ही दिनों पहले ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि पर विवाहित महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत रखा था। मगर वट पूर्णिमा वाले दिन भी सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं और अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती हैं।
ज्येष्ठ पक्ष की पूर्णिमा को सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। ये व्रत स्त्रियों के लिए खास बताया जाता है। मान्यता है कि इस दिन उपवास और पूजा करने वाली महिलाओं के पति पर आयी संकट टल जाती है और उनकी आयु लंबी होती है।
कब है वट पू्र्णिमा व्रत
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - जून 05, 2020 को 03:15 AM बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - जून 06, 2020 को 12:41 AM बजे
वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती हैं। मान्यता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापिस ले आई थी। इसलिए वट सावित्री व्रत वाले दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है।
पहली बार करने जा रही हैं व्रत तो-
अगर आप पहली बार वट सावित्री का व्रत करने जा रही हैं तो ध्यान रखें इस दिन 16 श्रृंगार करके पूजन करें। सिर्फ यही नहीं बिना पूजा किए किसी भी तरह का अन्न-जल ना ग्रहण करें। सूर्य देव को जल का अर्घ्य जरूर दें। भीगे हुए चने का बायना निकाले।
वट सावित्री व्रत पूजा-विधि
1. वट पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. अब व्रत का संकल्प लें।
3. 24 बरगद फल, और 24 पूरियां अपने आंचल में रखकर वट वृक्ष के लिए जाएं।
4. 12 पूरियां और 12 बरगद फल वट वृक्ष पर चढ़ा दें।
5. इसके बाद एक लोटा जल चढ़ाएं।
6. वृक्ष पर हल्दी, रोली और अक्षत लगाएं।
7. फल-मिठाई अर्पित करें।
7. धूप-दीप दान करें।
7. कच्चे सूत को लपेटते हुए 12 बार परिक्रमा करें।
8. हर परिक्रमा के बाद भीगा चना चढ़ाते जाएं।
9. अब व्रत कथा पढ़ें।
10. अब 12 कच्चे धागे वाली माला वृक्ष पर चढ़ाएं और दूसरी खुद पहन लें।
11. 6 बार इस माला को वृक्ष से बदलें।
12. बाद में 11 चने और वट वृक्ष की लाल रंग की कली को पानी से निगलकर अपना व्रत खोलें।