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Holi: होली से शुरू होता है नया साल, कैसे पड़ा इस त्योहार का नाम और क्या है कामदेव से कनेक्शन, जानिए ये 10 बातें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 26, 2020 18:34 IST

Holi 2020: होली का त्योहार आज भारत सहित पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। इस त्योहार की पौराणिक कहानी हिरण्यकश्यप और प्रहलाद से जुड़ी है।

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ठळक मुद्देहोली का त्योहार इस बार 10 मार्च को, 9 मार्च को होलिका दहनपूरी दुनिया में लोकप्रिय है होली का त्योहार, हिंदी कैलेंडर के अनुसार नये साल की होती है शुरुआत

Holi 2020:होली भारत और खासकर हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में शामिल है। रंगों के इस त्योहार के दिन एक-दूसरे को रंग और गुलाल से सराबोर करने की परंपरा है। ये त्योहार केवल एशिया ही नहीं बल्कि यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे महाद्वीपों में भी खासा लोकप्रिय है जहां भारतीय मूल के लोग बसते हैं।

मौज-मस्ती का ये त्योहार इस बार 10 मार्च को मनाया जाएगा। इसे लेकर तमाम गांव-शहरों, गलियों, घरों आदि में तैयारी भी शुरू हो गई है। इस मौके पर आईए, आज हम आपको होली से जुड़ी कुछ बेहद दिलचस्प जानकारियों के बारे में बताने जा रहे हैं...

1. होलिका के नाम पर होली: रंगों के इस त्योहार होली का नाम दरअसल होलिका शब्द से निकला है। होलिका असुरराज हिरण्यकश्यप की बहन थी जिसने भगवान विष्णु के भक्त और अपने भाई के बेटे को अग्नि में जलाने की कोशिश की थी। हालांकि वह स्वयं इस अग्नि में भस्म हो गई।

2. बुराई पर अच्छाई की जीत: होली बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। होली से एक दिन पहले कई जगहों पर होलिका जलाने की परंपरा भी है। इसे होलिका दहन कहते हैं।

3. कृष्ण से भी जुड़ी है कथा: होली की एक कथा भगवान कृष्ण से भी जुड़ी है। श्रीकृष्ण सांवले थे। ऐसा करते हैं कंस की ओर से भेजे राक्षसी पूतना के स्तन से दूध पीने के कारण उनका रंग नीला पड़ गया था। ऐसे में कृष्ण को लगता था गोरी रंग वाली राधा उन्हें पसंद नहीं करेंगी। इस पर माता यशोदा ने कृष्ण को सलाह दी वह राधा को रंग लगाकर उसका रंग बदल सकते हैं। कहते हैं तब से भी रंगों के साथ होली मनाने की परंपरा शुरू हुई।

4. बराबरी का त्योहार होली: होली समाज में बराबरी का भी प्रतीक है। इस दिन सभी लोग फिर वो चाहें गरीब हो या अमीर, भले ही किसी जाति के हों, पढ़े-लिखे हों या अनपढ़ सभी रंग-बिरंग रंग में रंगे नजर आते हैं। यह दिन दुश्मनी को दोस्ती में बदलने के लिए भी जाना जाता है।

5. ब्रज की होली: मथुरा, वृंदावन आदि क्षेत्रों में होली का त्योहार कम से कम 7 से 16 दिन विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। यह क्षेत्र श्रीकृष्ण की जन्मस्थली और उनके बचपन का गवाह रहा है।

6. सर्दियों के जाने का प्रतीक: ये त्योहार सर्दियों की विदाई को भी दर्शाता है। इसके बाद मौसम में गर्मी तेजी से बढ़ने लगती है।

7. नये साल की शुरुआत: हिंदी कैलेंडर के मुताबिक होली चैत्र माह के पहले दिन मनाया जाता है। यह हिंदी कैलेंडर का पहला महीना है। इस तरह इस दिन से नये साल की शुरुआत जश्न और मौज-मस्ती से की जाती है।

8. कामदेव हुए जब भस्म: होली के दिन से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि ये वही दिन था जब कामदेव भगवान शिव के तीसरे नेत्र के खोलने के कारण भस्म हो गये थे। कामदेव ने दरअसल अपना तीर चलाकर शिव के ध्यान को भंग करने की कोशिश की थी। इससे भोले शंकर क्रोधित हुए थे। कहते हैं कि बाद में कामदेव का जन्म श्रीकृष्ण के एक पुत्र के तौर पर हुआ।

9. लठमार सहित कई तरह की खेली जाती है होली: रंगों की तरह ब्रज क्षेत्र की लठमार होली भी काफी प्रसिद्ध है। लठमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन खेली जाती है। इस दिन महिलाएं पुरुषों को लठ यानी डंडे से पीटती हैं लेकिन वे प्यार से पिटाई करती हैं ताकि कोई चोट न लगे। डंडों से बचाव के लिए पुरुष ढ़ाल का उपयोग करते हैं।  कहते हैं कि राधा आपने चहेते कृष्ण को प्यार से लठ मारकर सालभर में की गई गलतियों का बदला लेती थीं। तभी से यह त्योहार हर साल मनाया जाता है। खासकर मधुरा और वृंदावन में इस त्योहार को जोरों-शोरों से मनाया जाता है।

10. होली पर स्वादिष्ट व्यंजन की धूम: होली का मौका स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ लेने का भी होता है। गुजिया समेत ठंडाई, पकड़े, भजिया, शक्कर पारे, दही भल्ला और दही बड़े जैसे कई व्यंजन देश भर में खाए और खिलाए जाते हैं।

टॅग्स :होलीभगवान कृष्णभगवान शिवमथुरा
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