लाइव न्यूज़ :

Gupt Navratri 2020: आज गुप्त नवरात्रि के छठे दिन होती है मां कात्यानी की पूजा, जानें विधि, मुहूर्त व मंत्र

By गुणातीत ओझा | Published: June 26, 2020 12:52 PM

Ashadha Gupt Navratri 2020: आज गुप्त नवरात्रि का छठा दिन है। छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। मां के स्वरूप के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि मां समस्त आभूषणों से सुशोभित होती हैं, इनकी सवारी सिंह है। मां का स्वरूप विहंगम और अनुपम है। मां के दर्शन मात्र से सभी दुःख दूर हो जाते हैं।

Open in App
ठळक मुद्देआज गुप्त नवरात्रि का छठा दिन है। छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। इस दिन प्रातः काल में स्कन्दमाता की पूजा करें। जबकि दोपहर बाद मां कात्यानी की पूजा-उपासना करें।

Ashadha Gupt Navratri 2020: आज गुप्त नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है। इन्हें गौरी, काली, उमा, कात्यायनी, हैमावती और इस्वरी के नामों से भी जाना जाता है। इस दिन साधक का मन और मस्तिष्क आज्ञा चक्र में अवस्थित होता है। छठे दिन साधक अपनी साधना मां कात्यायनी के चरणों में समर्पित करता है। साधना से खुश होकर मां दिव्य ज्ञान प्रदान करती हैं। गुप्त नवरात्रि इच्छाओं को पूर्ण करने वाली नवरात्रि है। आज के दिन साधना करने वालों से खुश होकर मां भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण करती हैं। आइये आपको बताते हैं मां कात्यायनी को खुश करने के लिए पूजा-विधि, मुहूर्त और मंत्र..

मां कात्यायनी का स्वरूप

समस्त आभूषणों से सुशोभित मां कात्यायनी सिंह पर सवार रहती हैं। मां के विहंगम और अनुपम स्वरूप के दर्शन मात्र से ही दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। मां के दर्शन से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मां चार भुजाधारी हैं। इनके दो हाथ वरमुद्रा स्थिति में हैं। इसका अर्थ है कि मां अपने दोनों हाथ से भक्तों का कल्याण करती हैं। जबकि एक हाथ में अस्त्र है और दूसरे हाथ में कमल पुष्प है।

मुहूर्त 

चौघड़िया पंचांग के अनुसार आप हर समय मां कात्यायनी की पूजा कर सकते है। जबकि हिंदी पंचांग के अनुसार दोपहर बाद षष्ठी है। इससे पहले पंचमी भी है। अतः साधकों के लिए यह अति शुभ दिन है।

पूजा विधि

इस दिन प्रातः काल में स्कन्दमाता की पूजा करें। जबकि दोपहर बाद मां कात्यानी की पूजा-उपासना करें। इसके लिए शाम का मुहूर्त अति उत्तम है। इस समय गंगाजल युक्त पानी से स्नान कर लें। इसके बाद मां कात्यायनी की स्तुति निम्न मंत्र से करें। 

'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

अब मां की पूजा फल फूल, ताम्बूल, दूर्वा,धूप-दीप आदि से करें। मां को लाल रंग की चुनरी अवश्य भेंट करें। पूजा के अंत में आरती और प्रार्थना करें। साधक दिनभर व्रत रखें। शाम में आरती करने के बाद फलाहार करें।

महत्व

ऐसा माना जाता है कि जो भक्त मां को जिस रूप में पुकारता है, मां उस रूप में प्रकट होकर भक्त का कल्याण करती हैं। मां मानव जगत का कल्याण करती है। समस्त प्राणी मात्र को संकटों से बचाती है और उनके दुःख, दर्द, रोग, संताप, शोक और भय को दूर करती हैं। अतः साधकों को मां की सेवा के लिए हमेशा आतुर रहना चाहिए। मां की कृपा से भक्तों का उद्धार होता है।

टॅग्स :गुप्त नवरात्रिमां लक्ष्मीमां दुर्गाधार्मिक खबरें
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठAkshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर कैसे करें मां लक्ष्मी को खुश?, इन 5 मंत्रों का करें जाप ...

पूजा पाठKalashtami 2024: कालाष्टमी व्रत कल, जानिए शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और प्रसाद आदि के नियम

पूजा पाठLord Shiva: भोलेनाथ के अचूक 'शिव महिम्न: स्तोत्र' के पाठ से होती है सुखों की प्राप्ति, जानिए इस पाठ की महिमा

पूजा पाठLord Ganesh: गणपति क्यों करते हैं मूसक की सवारी, क्या है भगवान गणेश के दिव्य वाहन की कथा, जानिए यहां

पूजा पाठHanuman Jayanti 2024: पंचमुखी हनुमान के पूजन से दूर होता है भय, बढ़ता है आत्मविश्वास, जानिए रुद्रावतार के इस महास्वरूप की कहानी

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठSaptahik Rashifal (20-26 May 2024): इस सप्ताह मेष, मिथुन और धनु राशिवालों को मौज ही मौज, जानिए सभी राशियों की भविष्यवाणी

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 19 May 2024: आज एकादशी पर इन पांच राशिवालों के लिए बन रहा है धन योग, पढ़ें अपना दैनिक राशिफल

पूजा पाठआज का पंचांग 19 मई 2024: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठMohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी व्रत कल, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मिटते हैं सारे पाप

पूजा पाठParshuram Dwadashi 2024: क्यों मनाई जाती है परशुराम द्वादशी, क्या है इसका महत्व, जानें इसकी तिथि और समय