गुड़ी पड़वा 2018: महाराष्ट्र में ही नहीं इन राज्यों में मनाया जाता है ये पर्व, जानें क्या है इसका महत्व
By धीरज पाल | Published: March 18, 2018 07:40 AM2018-03-18T07:40:35+5:302018-03-18T14:07:16+5:30
गुड़ी पड़वा के मौके पर घर के बाहर एक बांस या लकड़ी पर जरी को कोरी साड़ी लपेटकर उसके ऊपर तांबे का लोटा रखा रखा जाता है।
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह से होती है। इस बार चैत्र का महीने की शुरुआत 18 मार्च से हो रही है। इसी दिन देशभर में चैत्र नवरात्रि और गुड़ी पड़वा का पर्व जाएगा। हर साल गुड़ी पड़वा का त्योहार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा की तिथि पर पड़ती है। गुड़ी पड़वा का त्यौहार नववर्ष या नव-सवंत्सर के आरंभ की खुशी में मनाया जाता है। यह त्योहार विशेषकर महाराष्ट्र में मनाया जाता है।
गुड़ी का मतलब होता है विजय पताका। इस पर्व को विजय पताका के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन घरों को सजाया जाता है, जगह-जगह आयोजन किए जाते हैं, प्रत्येक घरों के बाहर गुड़ी को टांगा जाता है। यह त्योहार इसलिए मानाया जाता है कि माना जाता कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना का कार्य शुरू किया था।
क्या होता है गुड़ी
महाराष्ट्र में ही नहीं यह त्योहार कई राज्यों में बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। गुड़ी पड़वा के मौके पर घर के बाहर एक बांस या लकड़ी पर जरी को कोरी साड़ी लपेटकर उसके ऊपर तांबे का लोटा रखा रखा जाता है। आम तौर पर यह साड़ी केसरिया रंग का और रेशम का होता है। फिर गुड़ी को गाठी, नीम की पत्तियों, आम की डंठल और लाल फूलों से सजाया जाता है। गुड़ी को किसी ऊंचे स्थान जैसे कि घर की छत पर लगाया जाता है, ताकि उसे दूर से भी देखा जा सके। कई लोग इसे घर के मुख्य दरवाजे या खिड़कियों पर भी लगाते हैं।
गुड़ी पड़वा का महत्व
यह त्योहार सम्राट शालिवाहन द्वारा शकों को पराजित करने की खुशी में मनाया जाता है। कुछ लोग अपने घरों में गुड़ी छत्रपति शिवाजी की विजय को याद करने के लिए लगाते हैं। कुछ लोग छत्रपति शिवाजी की विजय को याद करने के लिए भी गुड़ी लगाते हैं। जैसा कि मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने इस दिन ब्रह्माड की रचना की थी। इसलिए गुड़ी को ब्रह्माध्वज भी माना जाता है। कुछ लोग भगवान राम द्वारा 14 वर्ष वनवास करके अयोध्या लौटे थे इसलिए यह त्योहार मनाते हैं। इस दिन माना जाता है कि गुड़ी लगाने से घर की समृद्धि बनी रहती है। कुछ लोग यह त्योहार पुरानी फसल के बाद नई फसल की तैयारी के लिए मनाते हैं, कुछ बदलते मौसम के लिए मनाते हैं।
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इन जगहों पर भी मनाते हैं गुड़ी पड़वा
1. गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय इसे संवत्सर पड़वो नाम से मनाता है।
2. कर्नाटक में यह पर्व युगाड़ी नाम से जाना जाता है।
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3. आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में गुड़ी पड़वा को उगाड़ी नाम से मनाते हैं।
4. कश्मीरी हिन्दू इस दिन को नवरेह के तौर पर मनाते हैं।
5. मणिपुर में यह दिन सजिबु नोंगमा पानबा या मेइतेई चेइराओबा कहलाता है।
6. इस दिन चैत्र नवरात्रि भी आरम्भ होती है।