Gangaur Puja 2020: गणगौर की पूजा करते समय जरूर ध्यान में रखें ये 10 बातें, मिलेगा अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद

By मेघना वर्मा | Published: March 25, 2020 09:12 AM2020-03-25T09:12:14+5:302020-03-25T09:12:14+5:30

Gangaur Puja 2020: माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को सदा सुहागन रहने का वरदान दिया था। इस लिए इस दिन महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

Gangaur Puja 2020 date kab hai Gangaur Puja kya kare kya na kare puja vidhi | Gangaur Puja 2020: गणगौर की पूजा करते समय जरूर ध्यान में रखें ये 10 बातें, मिलेगा अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद

Gangaur Puja 2020: गणगौर की पूजा करते समय जरूर ध्यान में रखें ये 10 बातें, मिलेगा अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद

Highlightsचैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तक इस पूजा को रोज किया जाता है।होली की शाम से शुरू होने वाली इस गणगौर व्रत पूजा को कुंवारी और विवाहित महिलाएं रखती हैं।

Gangaur Puja 2020: राजस्थान और मध्य प्रदेश में विशेष महत्व रखने वाले गणगौर की पूजा का हिन्दू शास्त्रों में भी बहुत महत्व बताया गया है। होली के दिन से ही इस पूजा की शुरुआत हो जाती है। मध्य प्रदेश में जहां इसे तीन दिनों तक मनाया जाता है। वहीं, राजस्थान में ये पूजा अगले 16 दिनों तक चलती रहती है। भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित इस पर्व के आखिरी दिन का सबसे ज्यादा महत्व है। 

माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को सदा सुहागन रहने का वरदान दिया था। वहीं, माता पार्वती ने सभी सुहागन स्त्रियों को सदा सौभाग्यवती रहने का वरदान दिया। इस लिए इस दिन महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

गणगौर की पूजा के समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। आइए आपको बताते हैं कौन सी हैं वो बातें जिन्हें आप इस विशेष पूजा में जरूर ध्यान दीजिएगा-

1. होली की शाम से शुरू होने वाली इस गणगौर व्रत पूजा को कुंवारी और विवाहित महिलाएं रखती हैं। जिसमें हर दिन गणगौर जी की पूजा करती हैं। 

2. जहां विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं तो वहीं कुंवारी लड़कियां अच्छे वर के लिए इस पूजा को करती हैं।

3. चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तक इस पूजा को रोज किया जाता है। चैत्र शुक्ल की द्वितीया को सिंजारा भी कहते हैं। 

4. इसी दिन महिलाएं किसी पवित्र नदी, सरोवर, तालाब या कुंड पर जाकर गणगौर को पानी पिलाती हैं और फिर तृतीया के दिन शाम में उनका विसर्जन करती हैं। 

5. चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी को सुबह स्नान करके गीले वस्त्रों में ही रहकर घर के किसी पवित्र स्थान पर लकड़ी की बनी टोकरी में जावेर बोना चाहिए।

6. इस दिन से विसर्जन तक व्रती को एकासना यानी एक समय का भोजन करना चाहिए।

7. इन जवारों को ही देवी गौरी और शिव का रूप माना जाता है। 

8. गौरी जी की स्थापना पर सुहाग की वस्तुएं जैसे कांच की चूड़ियां, सिंदूर, महावर, मेहंदी, टीका, बिंदी, शीशा, काजल आदि चढ़ाया जाता है।

9. सुहाग की साम्रगी को चंदन, अक्षत, धूप-दीप से विधि पूर्वक  पूजा की जाती है और मां गौरी को भोग लगाया जाता है। 

10. इसके बाद गौरीजी की भोग लगाकर कथा पढ़ी जाती है। कथा के पश्चात सभी सुहागन महिलाएं एक-दूसरे की मांग भरती हैं और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

इस बार गणगौर पूजा का समापन राजस्थान में 27 मार्च को हो रहा है। यह चैत्र शुक्ल की तृतीया तिथि होगी। वहीं, पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो स्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 17 मिनट से सुबह 10 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। 

English summary :
Worship of Goddess Gangaur, which has special importance in Rajasthan and Madhya Pradesh, is also mentioned in Hindu scriptures. This puja starts from the day of Holi. In Madhya Pradesh where it is celebrated for three days.


Web Title: Gangaur Puja 2020 date kab hai Gangaur Puja kya kare kya na kare puja vidhi

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