गंगा दशहरा 2020: क्रोधित ऋषि ने दिया श्राप, मां गंगा ने नदी में प्रवाहित किए अपने 7 पुत्र-पढ़ें पौराणिक कथा

By मेघना वर्मा | Updated: May 29, 2020 16:34 IST2020-05-29T16:34:37+5:302020-05-29T16:34:37+5:30

इस साल गंगा दशहरा 1 जून को मनाई जानी है। माना जाता है कि इसी दिन मां गंगा धरती पर आयीं थीं।

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गंगा दशहरा 2020: क्रोधित ऋषि ने दिया श्राप, मां गंगा ने नदी में प्रवाहित किए अपने 7 पुत्र-पढ़ें पौराणिक कथा

Highlightsमां गंगा से जुड़े कई प्रसंग पुराणों में मिलते हैं।गंगा नदी को देव नदी कहा जाता है।

गंगा नदी का हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा महत्व बताया जाता है। मान्यता है कि देवी गंगा के पूजन और स्नान से ही सारे पाप कट जाते हैं। गंगा नदी को हर शुभ कार्य से पूर्व और पश्चात पूजने का रिवाज सदियों से चला आ रहा है। वहीं गंगा के खास पर्व गंगा दशहरा को भी हर साल धूम से मनाया जाता है।

गंगा नदी को देव नदी कहा जाता है। इस साल गंगा दशहरा 1 जून को मनाई जानी है। माना जाता है कि इसी दिन मां गंगा धरती पर आयीं थीं। गंगा दशहरा वाले दिन लोग गंगा में स्नान करते हैं तथा घाटों पर भव्य गंगा आरती होती है। मगर इस बार लॉकडाउन के चलते ऐसा संभव नहीं।

मां गंगा से जुड़े कई प्रसंग पुराणों में मिलते हैं। इन्हीं में से एक मिलता है महाभारत में। मां गंगा हस्तिनापुर के महाराज शांतनु की पत्नी थीं। महाभारत में दोनों के प्रेम प्रसंग का उल्लेख मिलता है। वहीं बताया जाता है मां गंगा ने अपनी संतान, भीष्म से पहले बाकी की 7 संतानों को जीवित ही नदी में प्रवाहित कर दिया था।

आइए आपको बताते हैं क्या है इस पौराणिक मान्यता के पीछे की कहानी-

वसुओं ने गाय की कर लिया हरण

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार पृथु के पुत्र जिन्हें वसु कहा जाता है वे अपनी पत्नियों के साथ मेरु पर्वत पर घूमने गये थे। यहीं पर महर्षि ऋषि का आश्रम था। इसी आश्रम में नंदिनी नाम की गाय थी। बताया जाता है कि उस समय वसु ने सब चीजों के साथ नंदिनी गाय का भी हरण कर लिया।

मां गंगा ने लिया अपनी शरण में

वसु की हरकत से ऋषि बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने सभी वुसओं को इंसान योनी में जन्म लेने का श्राप दे दिया। वसु ने तुरंत ही अपने पापों की क्षमा मांग ली। इस पर ऋषि का क्रोध थोड़ा कम हुआ तो वो बोले कि तुममें से घौ नामक वसु को पृथ्वीलोक पर लंबे समय तक रहकर कर्म भोगना होगा।

ऋषि के इस श्राप की बात वसुओं ने देवी गंगा को बताई। जिस पर मां गंगा ने कहा कि तुम सभी को अपने गर्भ में धारण करूंगी और तुरंत ही मनुष्य योनी से मुक्त भी कर दूंगी। गंगा ने ऐसा ही किया जिस पर सांतनु को दखल देने के लिए मां गंगा ने पहले ही मना कर दिया था।

जब इनकी आठवीं संतान की बारी आई तब महाराज शांतनु ने गंगा को ऐसा करने से रोक दिया। तब गंगा ने अपने इस पुत्र को जीवित रखा जो भीष्म के नाम से प्रसिद्ध हुआ। मां गंगा के इस पुत्र को पृथ्वी पर रहकर जीवन भर दुख भोगने पड़े। 

गंगा दशहरा तिथि व मुहूर्त 2020
दशमी तिथि प्रारंभ - 31 मई 2020 को 05:36 बजे शाम
दशमी तिथि समाप्त - 01 जून को 02:57 बजे शाम
हस्त नक्षत्र प्रारंभ- 01 जून को 3 बजकर एक मिनट पर सुबह
हस्त नक्षत्र समाप्त- 02 जून को 01 बजकर 18 मिनट, सुबह

English summary :
Ganga River is the holy review in Hinduism. It is believed that all sins are cut off by worshiping and taking shower. The rituals of worshiping the river Ganga before and after every auspicious work has been going on for centuries. At the same time, Ganga Dussehra, the special festival of Ganga, is also celebrated with great fanfare every year.


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