हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि इस साल 13 सितंबर को है। यानी इसी दिन से गणेश चतुर्थी का 10 दिन का महोत्सव आरम्भ हो जाएगा। 11वें दिन यानी 23 सितंबर को धूमधाम से बप्पा की सवारी निकलेगी और उनका विसर्जन किया जाएगा। तो इस साल यदि आप भी बप्पा को घर लेकर आ रहे हैं और गणेश स्थापना करने जा रहे हैं तो आपको कुछ वास्तु टिप्स जान लेने चाहिए। इन्हें नजरअंदाज करना महंगा पड़ सकता है।
गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त, शुभ संयोग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल गणेश चतुर्थी पर स्वाति नक्षत्र बना है। और इस नक्षत्र का बृहस्पतिवार के दिन आना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा चन्द्रमा, जिसका चतुर्थी पर विशेष महत्व होता है, वे तुला की राशि में हैं। तुला राशि में इस समय चन्द्रमा, शुक्र और बृहस्पति का दुर्लभ संयोग बना हुआ है। इन सभी सयोगों को देखते हुए इस बार की गणेश चतुर्थी बेहद मंगलकारी मानी जा रही है।
12 सितंबर, दिन बुधवार की शाम 4 बजकर 7 मिनट से चतुर्थी तिथि आरम्भ हो जाएगी जो कि अगली दोहपर यानी 13 सितंबर को 2 बजकर 51 मिनट तक चलेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त 13 सितंबर को 11 बजे से शुरू होकर दोपर 1 बजकर 31 मिनट तक मान्य है। इस बीच कभी भी गणपति स्थापना की जा सकती है।
जिस तरह धार्मिक कार्यों में गणेश जी का महत्व सबसे अधिक है, इसी तरह से वास्तु शास्त्र में भी गणेश जी को महत्व दिया जाता है। इसलिए उनकी मूर्ति स्थापना से लेकर घर में अगर गणेश जी हमेशा के लिए रखे हैं, तो उससे जुड़े टिप्स को जरूर जान लेना चाहिए।
1. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में हमेशा गणपति की बाईं ओर सूंड वाली मूर्ति रखें। यह अधिक मंगलकारी मानी जाती है
2. घर में कभी भी 1, 3 या 5 की संख्या में मूर्तियां ना रखें। इस संख्या में यानी विषम संख्या में गणेश मूर्ति रखना अशुभ माना जाता है
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3. कभी भी एक स्थान पर एकसाथ गणपति की दो मूर्तियां ना रखें। अगर घर में बप्पा की एक से अधिक मूर्तियां हैं तो उन्हें अलग-अलग जगहों पर रखें
4. गणपति की मूर्ति ऐसे स्थान पर स्थापित करें जिससे कि उनके मुख की दिशा घर की ओर होनी चाहिए। इसके पीछे कारण यह है कि घर के अन्दर की ओर गणपति की पीठ नहीं होनी चाहिए। गणेश की पीठ देखना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर में दुःख और दरिद्रता आती है
5. वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर गणपति की मूर्ति का रंग फीका पड़ने लगे या वह खण्डित हो जाए तो उसे नदी या बहते जल में बहा दें
6. वास्तु शास्त्र के लिहाज से गणपति मूर्ति स्थापित करने के लिए घर की पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा सबसे अशुभ होती है
7. भूलकर भी दक्षिण या दक्षिण पश्चिम दिशा में गणपति स्थापना ना करें