Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी के दिन नहीं करें चंद्रदर्शन, लगता है झूठा कलंक, कृष्ण पर भी लगा था चोरी का आरोप
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 27, 2019 01:47 PM2019-08-27T13:47:09+5:302019-08-27T13:47:09+5:30
Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी का त्योहार इस बार 2 सितंबर को पड़ रहा है। इस दिन चंद्रदर्शन करने की मनाही होती है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति अपयश होता है और उस पर झूठे आरोप लगते हैं।
Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी के उत्सव को लेकर देश भर में और विशेषकर महाराष्ट्र में तैयारी अपने आखिरी चरण पर है। गणेश को समृद्धि, ज्ञान, बुद्धि और विवेक का देवता माना गया है। गणेश का महत्व सनातन परंपरा में इतना अधिक है कि हर धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत सबस पहले गणेश पूजा से ही की जाती है।
ऐसे में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाले गणेश चतुर्थी का महत्व काफी बढ़ जाता है। इस बार गणेश चतुर्थी 2 सितंबर को है। मान्यता है कि इस चतुर्थी में चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए क्योंकि ऐसा करने से व्यक्ति पर झूठे कलंक लगते हैं।
Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी पर क्यों है चंद्रदर्शन की है मनाही
गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा को नहीं देखने के पीछे एक पौराणिक कथा है। कहते हैं कि एक बार चंद्रदेव जिन्हें अपने चेहरे और खूबसूरती पर बहुत गुमान था, उन्होंने भगवान गणेश का मजाका बनाया। उन्होंने गणेश के बड़े उदर और पेट को देखकर हंसने लगे। यह देख भगवान गणेश क्रोधित हो गये और उन्हें सबक सीखाने के लिए शाप दे दिया। भगवान गणेश ने शाप दिया कि अब जो व्यक्ति भी चंद्रमा को देखेगा उसका समाज में नाम खराब होगा और किसी कारणवश बदनामी होने लगेगी।
श्रीगणेश का क्रोध देखकर चंद्र देव को अपनी गलती का अहसास हुआ और वे क्षमा-याचना करने लगे। इस पर गणेश ने कहा कि वे अपना शाप तो पूरी तरह से वापस नहीं ले सकते लेकिन कुछ शर्तों के साथ यह बहुत हद तक कम जरूर हो जाएगा। श्रीगणेश भगवान ने कहा कि मानव चंद्रमा को अब जरूर देख सकेंगे लेकिन भाद्रपद चतुर्दशी के दिन इसे देखना अशुभ ही माना जाएगा। इसके बाद से ही गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को नहीं देखने की परंपरा है।
Ganesh Chaturthi: श्रीकृष्ण ने भी की थी गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखने की गलती
महाभारत की एक कथा के अनुसार द्वापरकाल में भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने भी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन चंद्रमा को देखने की गलती एक बार की थी और इसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ा। कथा के अनुसार भाद्रपद चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखने के बाद श्री कृष्ण पर स्यमंतक मणि चुराने का आरोप लगा था। इसके बाद नारद जी के बताने पर उन्हें अपनी गलती का एहसास किया और फिर उन्होंने गणेश जी का व्रत कर इस दोष से मुक्ति पाई।