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Dhanteras 2019: लंबी उम्र चाहते हैं? धनतेरस पर है यमराज को खुश करने का मौका, जानें कैसे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 18, 2019 14:50 IST

कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के तेरहवें दिन यानी त्रयोदशी को देवताओं के भगवान धन्वंतरी समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे और इसी तिथि का संबंध मृत्यु के देवता यमराज से भी है। यमराज को प्रसन्न करने के लिए अगर उनकी पूजा की जाए तो व्यक्ति लंबा जीवन जीता है।

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ठळक मुद्देधनतेरस पर मृत्यु के देवता यमराज का पूजन करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है।धनतेरस तिथि पर पूजन करने का विधान खुद यमराज ने अपने यमदूत को बताया था।

सनातन धर्म में भगवान विष्णु के अंशावतार भगवान धन्वंतरी के जन्मदिवस के अलावा भी धनतेरस तिथि का बहुत महत्व है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के तेरहवें दिन यानी त्रयोदशी को देवताओं के भगवान धन्वंतरी समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे और इसी तिथि का संबंध मृत्यु के देवता यमराज से भी है। यमराज को प्रसन्न करने के लिए अगर उनकी पूजा की जाए तो व्यक्ति लंबा जीवन जीता है। 

भारत में प्रचलित एक लोक कथा के अनुसार, एक समय हेम नाम का एक राजा था। उसके घर में एक पुत्र का जन्म हुआ। भारत में अब भी सनातन या वैदिक धर्म मानने वाले परिवारों में बच्चे के जन्म की कुंडली यानी जन्मकुंडली किसी शास्त्रों का ज्ञान रखने वाले योग्य ब्राह्मण से बनवाई जाती है। राजा हेम ने भी अपने बेटे की जन्मकुंडली बनवाई।

जन्मकुंडली में दिल दहलाने वाली बात सामने आई। वह यह थी कि जब राजा के बेटे की शादी होगी तो उसके चार दिन बाद उसकी मौत हो जाएगी। यह जानकर राज हेम की दुख की सीमा न रही और बेटे के रहने का इंतजाम ऐसी जगह किया जहां कोई महिला उसे देख भी न सके या वह किसी महिला के संपर्क में न आ सके। राजा का यह इंतजाम शायद प्रकृति को नामंजूर था इसलिए एक दिन एक सुंदर राजकुमारी उसी जगह से गुजरी जहां राजा ने अपने बेटे को रखा था। दोनों ने एक दूसरे को देखा और उनके दिल में प्रेम पनप गया। दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गए और गंधर्व विवाह कर लिया। 

चार दिन बाद राजकुमार की मौत हो गई। यमदूत उसके प्राण लेने पहुंचे। नवविवाहिता राजकुमारी रो रही थी। उसकी रोने की आवाज ने यमदूतों को भी दुखी कर दिया लेकिन राजकुमार के प्राण अपने साथ ले जाना उनकी ड्यूटी में था। एक यमदूत से रहा नहीं गया और उसने अपने राजा यमराज पूछा- महाराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे इंसान की अकाल मृत्यु न हो। 

यमराज ने दूत को उपाय बताया। यमराज ने कहा कि मनुष्य के कर्म तय करते हैं कि अकाल मृत्यु होगी या नहीं लेकिन इससे मुक्ति का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति अगर कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात को मेरी तरफ यानी दक्षिण दिशा की ओर मुझे दीपक और पूजन भेंट करता है तो उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी। इसीलिए सनातन धर्म में धनतेरस को रात में आंगन या घर के दरवाजे पर दक्षिण दिशा को दीपक रखा जाता है। इसका मतलब है कि यमराज खुश को आपका लंबा जीवन तय है। भारत में इस बार धनतेरस का पर्व 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। 

टॅग्स :धनतेरसदिवाली
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