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3200 फीट ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में दो सप्ताह में 7.5 करोड़ रुपये का चढ़ावा, जानें मंदिर के बारे में सबकुछ

By गुणातीत ओझा | Published: June 25, 2020 7:08 PM

3200 फीट ऊंचाई पर स्थित तिरुमला की पहाड़ियों पर बना श्री वेंकटेश्‍वर मंदिर तिरुपति में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है। 5वीं शताब्दी तक यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका था। कहा जाता है कि चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं का आर्थिक रूप से इस मंदिर के निर्माण में खास योगदान था।

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ठळक मुद्देग्यारह जून को फिर खुलने के बाद यहां तिरूमाला पहाड़ी पर भगवान वेंकेटेश्वर के मंदिर में पिछले दो सप्ताह में 7.5करोड़ रूपये भक्तों ने चढाये।यह मंदिर कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान बंद था और उसे 500करोड़ रूपये का नुकसान हुआ था।

तिरूपति। ग्यारह जून को फिर खुलने के बाद यहां तिरूमाला पहाड़ी पर भगवान वेंकेटेश्वर के मंदिर में पिछले दो सप्ताह में 7.5करोड़ रूपये भक्तों ने चढाये। यह मंदिर कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान बंद था और उसे 500करोड़ रूपये का नुकसान हुआ था। मंदिर के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि पिछले 14 दिनों में केवल हुंडी संग्रहण से दान के रूप में छह करोड़ रूपये की प्राप्ति हुई जबकि 300रूपये में ऑनलाइन टिकट बिक्री से डेढ़ करोड़ रूपये मिले। उन्होंने बताया कि हुंडी में श्रद्धालुओं से सोने, चांदी और अन्य बहुमूल्य दान के रूप में प्राप्त वस्तुओं के मूल्य का आकलन नहीं किया गया है। अधिकारी ने बताया कि हुंडी से एक दिन में सर्वाधिक नकद प्राप्ति 67 लाख रूपये 21 जून को हुई और सबसे कम प्राप्ति 37 लाख रूपये 17 जून को हुई। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के तहत 11 जून के बाद से मंदिर में प्रतिदिन 6000 श्रद्धालुओं को आने दिया जा रहा था। बीस जून के बाद श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है। उन्होंने बताया कि अब प्रतिदिन 9000 श्रद्धालुओं को मंदिर में आने दिया जा रहा है।

तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर तिरुपति में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है। तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में दर्शनार्थी यहां आते हैं। समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थित तिरुमला की पहाड़ियों पर बना श्री वेंकटेश्‍वर मंदिर यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है। कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अद्भुत उदाहरण हैं। तमिल के शुरुआती साहित्य में से एक संगम साहित्य में तिरुपति को त्रिवेंगदम कहा गया है। तिरुपति के इतिहास को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि 5वीं शताब्दी तक यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका था। कहा जाता है कि चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं का आर्थिक रूप से इस मंदिर के निर्माण में खास योगदान था।

इस मंदिर के विषय में एक अनुश्रुति इस प्रकार से है। प्रभु वेंकटेश्वर या बालाजी को भगवान विष्णु अवतार ही है। ऐसा माना जाता है कि प्रभु विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक सरोवर के किनारे निवास किया था। यह सरोवर तिरुमाला के पास स्थित है। तिरुमाला- तिरुपति के चारों ओर स्थित पहाड़ियाँ, शेषनाग के सात फनों के आधार पर बनीं 'सप्तगिर‍ि' कहलाती हैं। श्री वेंकटेश्वरैया का यह मंदिर सप्तगिरि की सातवीं पहाड़ी पर स्थित है, जो वेंकटाद्री नाम से प्रसिद्ध है।

वहीं एक दूसरी अनुश्रुति के अनुसार, 11वीं शताब्दी में संत रामानुज ने तिरुपति की इस सातवीं पहाड़ी पर चढ़ कर गये थे। प्रभु श्रीनिवास (वेंकटेश्वर का दूसरा नाम) उनके समक्ष प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। ऐसा माना जाता है कि प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त करने के पश्चात वे 120 वर्ष की आयु तक जीवित रहे और जगह-जगह घूमकर वेंकटेश्वर भगवान की ख्याति फैलाई। वैकुंठ एकादशी के अवसर पर लोग यहाँ पर प्रभु के दर्शन के लिए आते हैं, जहाँ पर आने के पश्चात उनके सभी पाप धुल जाते हैं। मान्यता है कि यहाँ आने के पश्चात व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है।

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