Dattatreya Jayanti 2019: कब है दत्तात्रोय जयंती? जानिए भगवान दत्तात्रेय के जन्म से जुड़ी दिलचस्प कथा

By मेघना वर्मा | Published: December 3, 2019 10:26 AM2019-12-03T10:26:51+5:302019-12-03T15:52:44+5:30

दत्तात्रोय भगवान के स्वरूप की बात करें तो उनके सिर सिर हैं और छह भुजाएं हैं। माना जाता है कि उनके अंदर ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों देवों के अंश हैं। दत्तोत्रय भगवान के बाल रूप की पूजा की जाती है। 

Dattatreya Jayanti 2019: know the date and significance, story behind the birth of lord Dattatreya in hindi | Dattatreya Jayanti 2019: कब है दत्तात्रोय जयंती? जानिए भगवान दत्तात्रेय के जन्म से जुड़ी दिलचस्प कथा

Dattatreya Jayanti 2019: कब है दत्तात्रोय जयंती? जानिए भगवान दत्तात्रेय के जन्म से जुड़ी दिलचस्प कथा

Highlightsब्रह्मा, विष्णु, महेश का रूप माने जाने वाले दत्तात्रोय को गुरुदेवदत्त नाम से भी पुकारा जाता है। गुरुदेवदत्त ने 24 गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी।

हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान को पूजा जाता है। वहीं हिंदू धर्म में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है। इन्हीं तीन देवों का स्वरूप मानें जाते हैं भगवान दत्तात्रोय। जिनकी पूजा हर साल पड़ने वाली दत्तात्रोय जयंती के दिन की जाती है। 

इस साल दत्तात्रोय जयंती 11 दिसंबर को पड़ रही है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश का रूप माने जाने वाले दत्तात्रोय को गुरुदेवदत्त नाम से भी पुकारा जाता है। बताया जाता है कि गुरुदेवदत्त ने 24 गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी। बताया जाता है कि दत्तात्रोय महर्षि अत्रि और सती अनुसुइया के पुत्र थे। हिंदू पंचांग के अनुसार, दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को प्रदोषकाल में हुआ था, इसलिए हर साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा को दत्त अथवा दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है।

कैसा है दत्तात्रोय प्रभु का स्वरूप

दत्तात्रोय भगवान के स्वरूप की बात करें तो उनके सिर सिर हैं और छह भुजाएं हैं। माना जाता है कि उनके अंदर ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों देवों के अंश हैं। दत्तोत्रय भगवान के बाल रूप की पूजा की जाती है। 

दत्तात्रोय प्रभु के जन्म की रोचक कथा

पौरणिक कथाओं के अनुसार भगवान नारद ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास जा-जाकर सती अनसुईया के पतिव्रत धर्म का बड़ा गुणगान करते रहते थे। इससे तीनों देवियां ईष्या से भर गयीं और अपने पतियों से अनुसूया के पतिव्रत धर्म को भंग करने की बात की। त्रिदेव अपनी पत्नियों की जिद के आगे विवश हो गए।

तीनों देवों(ब्रह्मा, विष्णु और महेश) ने साधू का रूप धारण कर लिया और माता अनुसूया के पास पहुंचे। जब अनुसूया उन्हें भिक्षा देने लगीं तो त्रिदेवों ने मना कर दिया और भोजन करने की इच्छा प्रकट की। अनुसूया ने जब तीनों को भोजन करवाना चाहा तो उन्होंने कहा कि वह तभी भोजन करेंगे जब अनुसूया उन्हें निर्वस्त्र होकर भोजन परोसेंगी। 

माता अनुसूया इस शर्त से बड़ी हैरत में पड़ गईं। मगर अपने पतिव्रत धर्म के बल से उन्होंने तीनों को ना सिर्फ पहचान लिया बल्कि मंशा भी जान ली। उन्होंने ऋषि अत्रि के चरणों का जल तीनों देव पर छिड़क दिया और देखते ही देखते तीनों बालक के रूप में आ गए। इसके बाद देवी ने बालकों को खाना परोसा और उनका पालन-पोषण करने लगीं।

उधर जब ब्रह्मा विष्णु और महेश वापिस नहीं लौटे तो तीनों देवियों को उनकी चिंता सताने लगी। जब तीनों देवियों को अपनी भूल का अहसास हुआ तो उन्होंने अनुसूया से क्षमा मांगी। अनुसूया ने कहा कि इन तीनों ने मेरा दूध पीया है, इसलिए इन्हें बालरुप में ही रहना होगा। तभी से दत्तात्रोय भगवान की पूजा की जाने लगी।

दत्त भगवान की पूजा गुरु के रूप में की जाती है, क्योंकि उनके कई शिष्य भी हुए जिनमें परशुराम, स्वामी कार्तिकेय और प्रहलाद का नाम भी शामिल है।

English summary :
This year, Dattatreya Jayanti will be on 11 December. Dattatreya, considered as the form of Brahma, Vishnu and Mahesh, is also called Gurudevadatta. It is said that Gurudevadatta received education from 24 Gurus.


Web Title: Dattatreya Jayanti 2019: know the date and significance, story behind the birth of lord Dattatreya in hindi

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