Chhath Puja 2019: पढ़ें छठ की व्रत कथा, जानें पौराणिक मान्यता

By मेघना वर्मा | Published: November 2, 2019 09:29 AM2019-11-02T09:29:57+5:302019-11-02T09:29:57+5:30

Chhath Puja Vrat Katha: पुरानी कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम का एक राजा था। उनकी पत्नी का नाम था मालिनी। दोनों की कोई संतान नहीं थी। इस बात से राजा और रानी दोनों ही दुखी रहते थे।

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Chhath Puja 2019: पढ़ें छठ की व्रत कथा, जानें पौराणिक मान्यता

Highlightsनहाय-खाय से शुरू होने वाले इस व्रत में खरना और सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही ये व्रत खत्म होता है। छठ के तीसरे दिन सूरज को अर्घ्य देने की प्रथा होती है।

देशभर में धूम-धाम से छठ का पर्व मनाया जा रहा है। खरना पूजा के बाद 36 घंटे का सबसे कठिन व्रत शुरू हो चुका है। जिसमें महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखेंगी। फिर शाम को और अगली सुबह भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर ही इस व्रत का पारण करेंगी। देश के सभी हिस्सों में विशेषकर बिहार और उत्तर प्रदेश में छठ की धूम देखने को मिलती है। 

तीन दिनों तक चलने वाले इस व्रत में सूर्य देव और छठी माई की पूजा की जाती है। आज यानी छठ के तीसरे दिन सूरज को अर्घ्य देने की प्रथा होती है। छठ को सुहाग की रक्षा के लिए भी महिलाएं रहती हैं। छठ पर्व पर छठी मईया के गीत भी गाए जाते हैं और उनकी कथा भी पूरे मन से पढ़ी जाती है।

इस व्रत में महिलाएं पूजा के समय नाक से लेकर मांग तक का लंबा सा सिंदूर लगाती हैं। नहाय-खाय से शुरू होने वाले इस व्रत में खरना और सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही ये व्रत खत्म होता है। 

छठ में सूर्यास्त और सूर्योदय का समय

02 नवंबर: दिन शनिवार- तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य। सूर्योदय: सुबह 06:33 बजे, सूर्यास्त: शाम 05:35 बजे।

03 नवंबर: दिन रविवार- चौथा दिन: ऊषा अर्घ्य, पारण का दिन। सूर्योदय: सुबह 06:34 बजे, सूर्यास्त: शाम 05:35 बजे।

छठी मइया की कथा

पुरानी कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम का एक राजा था। उनकी पत्नी का नाम था मालिनी। दोनों की कोई संतान नहीं थी। इस बात से राजा और रानी दोनों ही दुखी रहते थे। संतान प्राप्ति के लिए राजा ने महर्षि कश्यप से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। यह यज्ञ सफल हुआ और रानी गर्भवती हुईं।

लेकिन रानी को मरा हुआ बेटा पैदा हुआ। इस बात से राजा और रानी दोनों बहुत दुखी हुए और उन्होंने संतान प्राप्ति की आशा छोड़ दी। राजा प्रियव्रत इतने दुखी हुए कि उन्होंने आत्म हत्या का मन बना लिया, जैसे ही वो खुद को मारने के लिए आगे बढ़े षष्ठी देवी प्रकट हुईं। 

षष्ठी देवी ने राजा से कहा कि जो भी व्यक्ति मेरी सच्चे मन से पूजा करता है मैं उन्हें पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं। यदि तुम भी मेरी पूजा करोगे तो तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। राजा प्रियव्रत ने देवी की बात मानी और कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि के दिन देवी षष्ठी की पूजा की। इस पूजा से देवी खुश हुईं और तब से हर साल इस तिथि को छठ पर्व मनाया जाने लगा।

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

पूजा का दिन- 2 नवंबर, शनिवार

पूजा के दिन सूर्योदय का शुभ मुहूर्त- 06:33

छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का शुभ मुहूर्त- 17:35

षष्ठी तिथि आरंभ- 00:51 (2 नवंबर 2019)

षष्ठी तिथि समाप्त- 01:31 (3 नवंबर 2019) 
 

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