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Chhath Puja Songs: छठ पूजा के 10 सुपरहिट गाने, संध्या अर्घ्य पर जरूर सुनें

By संदीप दाहिमा | Updated: November 7, 2024 13:51 IST

Chhath Puja Songs 2024: छठ पूजा के तीसरे दिन को "संध्या अर्घ्य" या "संध्या अर्पण" कहा जाता है, और इस दिन का छठ महापर्व में बहुत ही विशेष महत्व होता है। यह दिन सूर्य देव की उपासना और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है।

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ठळक मुद्देChhath Puja Songs 2024: छठ पूजा के 10 सुपरहिट गानेChhat Puja Ke Geet: संध्या अर्घ्य के धार्मिक और आध्यात्मिक लाभChhath Ke Gane: सूर्य देव की पूजा, सूर्य को अर्घ्य देने से व्रती और उनके परिवार को सूर्य की ऊर्जा और सकारात्मकता प्राप्त होती है

Chhath Puja Songs 2024: छठ पूजा के तीसरे दिन को "संध्या अर्घ्य" या "संध्या अर्पण" कहा जाता है, और इस दिन का छठ महापर्व में बहुत ही विशेष महत्व होता है। यह दिन सूर्य देव की उपासना और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है। संध्या अर्घ्य के दिन व्रती और उनके परिवार के लोग सूर्यास्त के समय नदी, तालाब या अन्य जल स्रोत पर इकट्ठे होकर अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव और छठी मईया से आशीर्वाद प्राप्त करना है, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहे।

संध्या अर्घ्य का महत्व

  1. सूर्य देव की पूजा: छठ पर्व में सूर्य देव को जीवन और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। संध्या अर्घ्य में अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्य देने से व्रती और उनके परिवार को सूर्य की ऊर्जा और सकारात्मकता प्राप्त होती है।

  2. प्रकृति के प्रति कृतज्ञता: संध्या अर्घ्य के माध्यम से प्रकृति के प्रति आभार प्रकट किया जाता है। यह आभार फसलों, पानी, वायु, और सूर्य के रूप में प्रकृति की सभी संपदाओं के लिए है, जिनसे हमारा जीवन संचालित होता है।

  3. सामाजिक एकता का प्रतीक: इस दिन लोग मिलकर नदी, तालाब, या घाट पर पूजा करते हैं, जिससे समाज में एकता और भाईचारे की भावना मजबूत होती है। संध्या अर्घ्य एक सामूहिक पूजा का रूप ले लेता है, जिसमें सभी जाति, वर्ग और धर्म के लोग एक साथ शामिल होते हैं।

  4. संयम और साधना: संध्या अर्घ्य के दिन व्रती पूरे संयम और श्रद्धा के साथ सूर्य को अर्घ्य देने का संकल्प करते हैं। इस पर्व में तपस्या, उपवास, और नियम का पालन करना मुख्य होता है, जो व्यक्ति की आत्मा और शरीर को शुद्ध करता है।

संध्या अर्घ्य की विधि

संध्या अर्घ्य के लिए व्रती और उनके परिवार के लोग फल, फूल, दीपक, और अन्य पूजन सामग्री लेकर नदी या तालाब के किनारे जाते हैं। बाँस की टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू, नारियल, केला, सेब आदि फल रखकर पूजा की जाती है। सूर्य देव की ओर मुख करके दीपक जलाया जाता है, और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य देने के बाद व्रती जल में खड़े होकर सूर्य देव से परिवार की सुख-समृद्धि और कल्याण की प्रार्थना करते हैं।

संध्या अर्घ्य के धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ

संध्या अर्घ्य से मानसिक और आत्मिक शांति मिलती है। यह व्यक्ति को संयमित, श्रद्धावान और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित बनाता है। संध्या अर्घ्य से व्यक्ति का मन और आत्मा शुद्ध होते हैं और समाज में स्नेह, मेलजोल, और एकता की भावना का संचार होता है।

तीसरे दिन की यह पूजा छठ पर्व का चरम बिंदु मानी जाती है और व्रतियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सूर्य देव की उपासना का सबसे पवित्र और अंतिम क्षण होता है।

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