Chhath Puja 2023: नहाय-खाय के साथ सूर्य उपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ शुरू, व्रतियों ने आज ग्रहण किया अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी, जानिए पूरा शेयडूल
By एस पी सिन्हा | Updated: November 17, 2023 15:41 IST2023-11-17T15:40:47+5:302023-11-17T15:41:50+5:30
Chhath Puja 2023: बिहार का सबसे लोकप्रिय चार दिवसीय महापर्व छठ शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छठ के अवसर पर प्रदेश एवं देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।

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Chhath Puja 2023: बिहार में नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ शुक्रवार से शुरू हो गया। आज कद्दू -भात के साथ अनुष्ठान शुरू हुआ और सोमवार को पारण के साथ इसका समापन हो जाएगा। शनिवार को खरना का प्रसाद बना, जबकि इसके अगले दो दिनों तक भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाएगा।
आखिरी दिन व्रती पारण करेंगी। इसके साथ ही छठ का महापर्व समाप्त हो जाएगा। आज राजधानी पटना में छठ पूजा के अवसर पर गंगा घाटों पर भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ पडी। उन्होंने पवित्र स्नान किया और जल भरकर प्रार्थना की। छठ के पहले दिन नहाय खाय में व्रती अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी ग्रहण कर शरीर को सात्विक और पवित्र बनाया।
दूसरे दिन निर्जला उपवास के बाद गुड़ की खीर के साथ रोटी ग्रहण करेंगे। इससे व्रती का शरीर पूरी तरह से सात्विकता व पवित्रता के चरम को प्राप्त कर लेता है। फिर उसी स्थिति में 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है और अस्ताचलगामी सूर्य और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देते हैं। उधर, छठ पूजा को लेकर लोग घर से लेकर अर्घ्य घाटों तक छठ की तैयारी में लगे हैं।
नगर क्षेत्र में नगर निकाय और गांवों में मुखिया, सरपंच घाटों पर साफ़ी और रोशनी के सथ्न दूसरी तैयारियों में लगे हैं। खरना के अनुष्ठान के लिए महिलाएं मिट्टी के चूल्हा भी तैयार किया है। खरना का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर बनाया जाता है।
इसबीच उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि श्रद्धा, समर्पण, आस्था व नव सृजन के महत्व पर बल देने वाले अतुलनीय भक्ति के सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा के प्रथम दिवस पर नहाय खाय की सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि लोक आस्था के महापर्व छठ के अवसर पर शुभकामनाएं। यह आत्मानुशासन का पर्व है। लोग शुद्ध अन्तःकरण एवं निर्मल मन से अस्ताचल और उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। भगवान भास्कर से राज्य में प्रगति, सुख, समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना है।
नहाय-खाय के दौरान व्रती अरवा चावल का भात, चने की दाल, कद्दू की सब्जी तथा धनिया के पत्ते की चटनी का भोग लगाते हैं। सूर्य उपासना के इस पावन पर्व पर नहाय-खाय के अगले दिन यानी शनिवार को व्रतियों द्वारा निर्जला उपवास रखकर खरना किया जाएगा। खरना में दूध, अरवा चावल व गुड़ से बनी खीर एवं रोटी का भोग लगाया जाता है।
खरना के बाद व्रतियों का 36 घंटों का निर्जला उपावास शुरू हो जाएगा जो कि 19 नवंबर को रविवार की शाम अस्ताचल गामी सूर्य और 20 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ पूरा होगा। प्रदेश की राजधानी पटना में इस महापर्व के दौरान व्रतियों और श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को लेकर प्रशासन और पुलिस द्वारा व्यापक स्तर पर प्रबंध किए गए हैं। व्रतियों तथा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन द्वारा 32 टैंकर के माध्यम से घर-घर पवित्र गंगा जल उपलब्ध कराया जा रहा है।
