Chhath Pooja 2020: छठ पूजा में सूर्य को पहला अर्घ्य आज, डूबते सूर्य को इस विधि से दें अर्घ्य, जानें शुभ मुहूर्त

By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: November 20, 2020 08:05 AM2020-11-20T08:05:49+5:302020-11-20T08:06:03+5:30

छठ पूजा एक ऐसा त्‍योहार है जो पूरे बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है.

Chhath Pooja 2020 Date and Time in India | Chhath Pooja 2020: छठ पूजा में सूर्य को पहला अर्घ्य आज, डूबते सूर्य को इस विधि से दें अर्घ्य, जानें शुभ मुहूर्त

Chhath Pooja 2020: छठ पूजा में सूर्य को पहला अर्घ्य आज, डूबते सूर्य को इस विधि से दें अर्घ्य, जानें शुभ मुहूर्त

 चार दिवसीय छठ महापर्व का आज तीसरा और सबसे महतवपूर्ण दिन है.  इस दिन कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ माई से संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। छठ पूजा एक ऐसा त्‍योहार है जो पूरे बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है.

इस दिन संध्या अर्घ्य मुहूर्त सबसे प्रमुख होता है। संध्या अर्घ्य मुहूर्त में सूर्यास्त के समय सूर्य देव को जल चढ़ाया जाता है। वहीं अगले दिन सप्तमी को ऊषा अर्घ्य मुहूर्त महत्वपूर्ण है। इसमें उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाने का विधान है। षष्ठी तिथि के दिन सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 26 मिनट है।  वहीं अरुणोदयकालीन अ‌र्घ्य शनिवार की सुबह 6:32 बजे दिया जाएगा.

छठ पूजा से जुड़ी आवश्यक सामग्री
आज के दिन प्रसाद तैयार करने के बाद शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बांस की टोकरी में अ‌र्घ्य का सूप खूबसूरती के साथ सजाया जाता है. 
बांस की 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध और ग्लास, चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी, नाशपाती, बड़ा नींबू, शहद, पान, साबूत सुपारी, कैराव, कपूर, चंदन और मिठाई, प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, चावल के बने लड्डू. 

अर्घ्य एवं पूजा विधि
सबसे पहले छठ पूजा में उपयोग होने वाली सभी सामग्रियों को एक बांस की टोकरी में रखें।
वहीं सूर्य को अर्घ्य देते समय सभी प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएं।
फिर नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
 

छठ पूजा का महत्व 

इस पर्व में सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा की जाती है। छठी मैया को षष्ठी देवी भी कहा जाता है। छठ पूजा के पहले दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। दूसरे और तीसरे दिन पूरे दिन निर्जला उपवास किया जाता है। तीसरे दिन की शाम और उससे अगली सुबह पवित्र नदी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। तो इस तरह से छठ पूजा के दौरान महिलाएं छठी मैया से संतान प्राप्ति  और संतान को सुखीजीवन देने के लिए प्रार्थना करती हैं और भगवान सूर्य से अन्‍न-धन, संपत्ति आदि पाने के लिए विनती करती हैं। 

क्यों मनाते हैं छठ पूजा?
पौराणिक वर्णन के अनुसार भगवान राम और माता सीता ने ही पहली बार 'छठी माई' की पूजा की थी। इसी के बाद से छठ पर्व मनाया जाने लगा। कहा जाता है कि लंका पर जीत हासिल करने के बाद जब राम और सीता वापिस अयोध्या लौट रहे थे तब उन्होंने कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठी माता की पूजा की थी। इसमें उन्होंने सूर्य देव की पूजा भी की थी। तब से ही यह व्रत लोगों के बीच इतना प्रचलित है। 

द्रौपदी ने परिवार की समृद्धि के लिए रखा व्रत
हिन्दू मान्यताओं में एक और कथा प्रचलित है जिसके अनुसार महाभारत काल में द्रौपदी ने भी छठी माई का व्रत रखा था। मान्यता है कि उन्होंने अपने परिवार की सुख और शांती के लिए यह व्रत रखा। अपने परिवार के लोगों की लंबी उम्र के लिए भी वह नियमित तौर पर सूर्य देव की पूजा करती थीं। 

Web Title: Chhath Pooja 2020 Date and Time in India

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