नवरात्र के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, 108 बार पढ़ लीजिए ये विशेष मंत्र-बन जाएंगे सारे काम
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 26, 2020 06:49 AM2020-03-26T06:49:09+5:302020-03-26T06:49:09+5:30
मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए करीब तीन हजार वर्षों तक केवल बिल्व पत्र, फल-फूल ग्रहण किया और किसी भी प्रकार के अनाज को हाथ नहीं लगाया।
इस साल 25 मार्च से नवरात्रि शुरू हो चुकी है। आज नवरात्रि का दूसरा दिन है जिसमें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी के इस रूप को 'तपश्चारिणी' के नाम से भी जाना जाता है। शक्ति स्वरूप मां दुर्गा की पूजा अर्चना इस इन महीने में की जाती है।
हिन्दू धर्म में नवरात्रि के पर्व को बेहद शुभ माना गया है। माना जाता है कि भक्तों के कष्ट को हरने वाली मां दुर्गा की उपासना करने वाला उपासक अपने जीवन में प्रत्येक कठिनाई से ऊबर जाता है। यह पर्व दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है और इस दौरान सभी रूपों की पूजा और व्रत किया जाता है।
आइए जानते हैं देवी से जुड़ी पौराणिक कथा, पूजा विधि एवं जानें किस मंत्र के जाप से देवी प्रसन्न होती हैं।
देवी ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा
पुराणों की मानें तो कथा के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या की थी। देवी ने करीब तीन हजार वर्षों तक केवल बिल्व पत्र, फल-फूल ग्रहण किया और किसी भी प्रकार के अनाज को हाथ नहीं लगाया।
उनकी इसी तपस्या से प्रसन्न होकर देवताओं ने उन्हें आशीर्वाद दिया। देवता उनके समक्ष प्रकट हुए और कहा कि ' देवी, तुमने घोर तपस्या कर हमें चकित कर दिया है, इतनी कठोर तपस्या आप ही कर सकती थीं। आपकी तपस्या पूर्ण हुई, अब घर जाएं। आपकी तपस्या के फल के रूप में भगवान चंद्रमौलि (शिवजी) तुम्हें वर रूप में प्राप्त होंगे।'
देवी ब्रह्मचारिणी का व्रत करने से होते हैं ये लाभ
- साधक की इच्छाशक्ति बढ़ती है
- अन्दर से आत्मविश्वास आता है
- संघर्ष करने की क्षमता में वृद्धि होती है
- आचार-विचार में संयम की वृद्धि होती है
- जीवन में सफलता के मार्ग खुलते हैं
108 बार पढ़ लीजिए देवी से जुड़ा ये मंत्र
नवरात्रि के दूसरे दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें, आदि शक्ति, मां दुर्गा या भगवती की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर देवी के इस मंत्र का 108 बार जप कर उनकी अराधना करें:
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
पूजा-अर्चना खत्म करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करें। माना जाता है कि देवी का ये रूप सभी मनोकामना पूरी करता है।