Chaitra Navratri 2021 Day 2: आज होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, खुश होकर माता भक्तों को देती हैं ये आशीर्वाद
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 14, 2021 07:11 AM2021-04-14T07:11:26+5:302021-04-14T07:11:26+5:30
शास्त्रों के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को श्वेत रंग बेहद प्रिय है। माता की पूजा के दौरान सफेद रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। मां को सफेद वस्तुएं जैसे शक्कर, मिश्री या पंचामृत का भोग लगाएं। मां ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद पाने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
आज 14 अप्रैल दिन बुधवार को चैत्र नवरात्रि 2021 का दूसरा दिन है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। ब्रह्मचारिणी यानी ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली देवी। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर सदाचार, धैर्य, संयम, एकाग्रता और सहनशीलता का आशीर्वाद देती हैं।
ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ होता है- आचरण करने वाली। यानी तप का आचरण करने वाली। भविष्य पुराण मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप का वर्णन करते हुए बताया गया है कि इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल रहता है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
शास्त्रों के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को श्वेत रंग बेहद प्रिय है। माता की पूजा के दौरान सफेद रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। मां को सफेद वस्तुएं जैसे शक्कर, मिश्री या पंचामृत का भोग लगाएं। मां ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद पाने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान नीचे बताए गए मंत्र का जाप करने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है-
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
मंत्र- ऊं ब्रह्मचारिण्यै नम:
मां ब्रह्मचारिणी का श्लोक
सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में द्वितीय दिन इसका जाप करना चाहिए।
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थात, हे मां! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं।
‘विष्णुधर्मोत्तर पुराण’ के अनुसार जो धूप और आरती को देखता है, वह अपनी कई पीढ़ियों का उद्धार करता है। आरती को ‘आरात्रिक’ अथवा ‘नीराजन’ के नाम से भी पुकारा गया है। आराध्य के पूजन में जो कुछ भी त्रुटि या कमी रह जाती है, उसकी पूर्ति आरती करने से हो जाती है। साधारणतया 5 बत्तियों वाले दीप से आरती की जाती है जिसे ‘पंचप्रदीप’ कहा जाता है। इसके अलावा 1, 7 अथवा विषम संख्या के अधिक दीप जला कर भी आरती करने का विधान है। आपकी सुविधा के लिए ब्रह्माचारिणी माता की आरती यहां दे रहे हैं।
ब्रह्मचारिणी मां की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।