Chaitra Navratri 2021 नवरात्रि में नौ दिन मां दुर्गा के किस स्वरूप की कब होगी पूजा, जानें इसका महत्व
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 10, 2021 18:09 IST2021-04-10T18:05:35+5:302021-04-10T18:09:02+5:30
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा अर्चना के साथ ही व्रत भी किए जाते हैं. नवरात्रि का पहला दिन घटस्थापना से शुरू होता है.

Chaitra Navratri 2021 नवरात्रि में नौ दिन मां दुर्गा के किस स्वरूप की कब होगी पूजा, जानें इसका महत्व
शक्ति की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू होने वाले हैं और इसकी समाप्ति 22 अप्रैल को होगी . हिन्दू पंचांग के अनुसार नवरात्रि के साथ ही हिन्दू नववर्ष की शुरुआत भी होगी. वर्ष में दो बार चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि आती है. इसमें मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा की जाती है. हालांकि, वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्रि भी आती है, लेकिन चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि की मान्यता ज्यादा है.
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा अर्चना के साथ ही व्रत भी किए जाते हैं. नवरात्रि का पहला दिन घटस्थापना से शुरू होता है. तो आइये आपको बताते हैं के किस दिन मां के किस स्वरुप की पूजा होगी.
पहला दिन- शैलपुत्री (13 अप्रैल )
नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा पर घरों में घटस्थापना की जाती है. प्रतिपदा पर मां शैलपुत्री के स्वरूप का पूजन होता है. शैलपुत्री को देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में प्रथम माना गया है. मान्यता है कि नवरात्र में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है.
दूसरा दिन- ब्रह्मचारिणी (14 अप्रैल )
चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन यानि द्वितीया तिथि पर देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी का पूजन होता है. ब्रह्म का अर्थ तप है और चारिणी का अर्थ आचरण करने वाली. तप का आचरण करने वाली देवी के रूप में भगवती दुर्गा के द्वितीय स्वरूप का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. देवी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया था. देवी दुर्गा के तपस्विनी स्वरूप के दर्शन-पूजन से भक्तों और साधकों को अनंत शुभफल प्राप्त होते हैं. संन्यासियों के लिए इस स्वरूप की पूजा विशेष फलदायी है.
तीसरा दिन- चंद्रघंटा (15 अप्रैल )
चैत्र नवरात्र की तृतीया तिथि पर काशी में देवी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा होती है. देवी पुराण के अनुसार देवी दुर्गा के तृतीय स्वरूप को चंद्रघंटा नाम मिला. देवी के चंद्रघंटा स्वरूप का ध्यान करने से भक्त का इहलोक और परलोक दोनों सुधर जाता है, नवरात्र की तृतीया तिथि पर देवी के दर्शन से सद्गति की प्राप्ति होती है. देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्धचंद्र शुभोभित है इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा,
चौथा दिन- कूष्मांडा ( 16 अप्रैल )
नवरात्र की इस तिथि पर देवी के कूष्मांडा स्वरूप का दर्शन-पूजन करने का विधान है. चैत्र नवरात्र की चतुर्थी तिथि पर देवी के कुष्मांडा स्वरूप का दर्शन-पूजन करने से मनुष्य के समस्त पापों का क्षय हो जाता है.
पांचवा दिन- स्कंदमाता ( 17 अप्रैल )
नवरात्र का पांचवा दिन पंचमी तिथि कहलाती है. इस तिथि पर देवी दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप का दर्शन पूजन होता है. स्कंद कार्तिकेय की माता होने के कारण ही देवी के इस स्वरूप को स्कंदमाता नाम मिला है. देवी के इस स्वरूप की आराधना से जहां व्यक्ति की संपूर्ण सद्कामनाएं पूर्ण होती हैं वहीं उसके मोक्ष का मार्ग भी सुगम्य हो जाता है।
छठवां दिन- षष्ठी कात्यायनी (18 अप्रैल )
नवरात्र का छठा दिन षष्ठी तिथि कहलाता है. इस दिन देवी के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है. देवी दुर्गा के छठे स्वरूप का दर्शन साधकों को सद्गति प्रदान करने वाला कहा गया है. नवरात्र में षष्ठी तिथि पर देवी के दर्शन पूजन का विशेष महात्म्य देवी पुराण और स्कंदपुराण में बताया गया है. कात्य गोत्र के महर्षि कात्यायन ने कठिन तपस्या करके भगवती परांबा से अपनी पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान मांगा था. उनकी पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ा. देवी का विग्रह संकठा घाट पर है.
सातवां दिन- कालरात्रि ( 19 अप्रैल )
देवी दुर्गा की आराधना क्रम में नवरात्र की सप्तमी तिथि पर देवी के कालरात्रि सवरूप का पूजन किया जाता है. चैत्र नवरात्र में सप्तमी तिथि पर देवी के कालरात्रि स्वरूप के दर्शन पूजन का विधान है. अंधकारमय परिस्थितियों का नाश करने वाली देवी अपने भक्त की काल से भी रक्षा करती हैं. देवी कालरात्रि के दर्शन पूजन से नौ ग्रहों द्वारा खड़ी की जाने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं.
आठवां दिन- महागौरी ( 20 अप्रैल )
इस तिथि पर देवी के महागौरी स्वरूप का पूजन होगा. चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि पर देवी दुर्गा के महागौरी का संबंध देवी गंगा से भी है. धर्म ग्रंथों में देवी की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि इस स्वरूप के दर्शन मात्र से पूर्व संचित समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. देवी की साधना करने वालों को समस्त लौकिक एवं अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं.
नौवां दिन- सिद्धिदात्री ( 21 अप्रैल )
नवरात्र का नौवां दिन नवमी तिथि कहलाती है. इस तिथि पर देवी के सिद्धिदात्री स्वरूप का दर्शन-पूजन होगा. देवी का यह स्वरूप समस्त प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाला है. इसी आधार पर देवी का नामकरण हुआ और उन्हें सिद्धिदात्रि कहा गया.
व्रत में इन बातों का रखें ध्यान
नवरात्रि के व्रत में बुरे विचारों से बचना चाहिए. भूमि पर विस्तर लगाकर सोना चाहिए, इसके साथ ही फलाहार ग्रहण करना चाहिए. क्रोध और वाणी दोष से बचना चाहिए. शुभ कार्य करने चाहिए और भगवान का स्मरण करना चाहिए.पंडितों के अनुसार इस नवरात्रि मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर हो रहा है. जबकि प्रस्थान नर वाहन (मानव कंधे) पर होगा.