पाकिस्तान में भी है मां का शक्तिपीठ, मुस्लिम बुलाते हैं नानी का हज

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 24, 2020 12:27 PM2020-03-24T12:27:42+5:302020-03-24T12:40:49+5:30

chaitra navratri 2020: मां दुर्गा को भी आदिशक्ति का रूप माना गया है. मां दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना गया है.

chaitra navratri 2020 know about maa durga shakti peeth hinglaj mata mandir in pakistan | पाकिस्तान में भी है मां का शक्तिपीठ, मुस्लिम बुलाते हैं नानी का हज

बलूचिस्तान में माता हिंगलाज का मंदिर (विकीपीडिया फोटो)

Highlightsभारत के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और तिब्बत में भी मां का शक्तिपीठ है.पाकिस्तान के बलूचिस्तान के दुर्गम पहाड़ियों में माता हिंगलाज का मंदिर है, जिसे शक्तिपीठ माना गया है.

मां दुर्गा की आराधना को समर्पित वासंतिक नवरात्र या चैत्र नवरात्रि का आरंभ 25 मार्च से शुरू हो रहा है। मां दुर्गा को भी आदिशक्ति का एक रूप माना गया है। हिन्दू धर्म मान्यताओं में शक्तिपीठ का विशेष महत्व है। मान्यताओं के शक्तिपीठों के दर्शन से ही मनुष्य के सारे दु:ख खत्म हो जाते हैं। 

पूरी दुनिया में 52 शक्तिपीठ

आदि शक्तिपीठों की संख्या 4 मानी जाती है। कालिकापुराण में शक्तिपीठों की संख्या 26 बताई गई है वहीं  शिव चरित्र के अनुसार शक्ति पीठों की संख्या 51 हैं। देवी पुराण में भी 51 शक्तिपीठों का वर्णन है जबकि देवी भागवत में 72 शक्तिपीठों का जिक्र मिलता है। तंत्र चूड़ामणि के अनुसार शक्ति-पीठ 52 हैं, जबकि देवी भागवत में शक्तिपीठों की संख्या 108 बताई गई है। 

भारत के अलावा इन देशों में हैं मां का शक्तिपीठ

भारत में 42, पाकिस्तान में 1, बांग्लादेश में 4, श्रीलंका में 1, तिब्बत में 1 और नेपाल में 2 शक्तिपीठ हैं। पाकिस्तान में मां की शक्तिपीठ बलूचिस्तान राज्य की राजधानी कराची से 120 किमी उत्तर पश्चिम में है। शक्तिपीठ हिंगोल नदी के तट पर ल्यारी तहसील के तटीय क्षेत्र हिंगलाज में स्थित है। हिंगोल नदी अघोर पर्वत के किनारे हैं। यहीं पर माता ब्रह्मरंध्र (सिर) गिरा था।

मुस्लिम बुलाते हैं नानी का हज

बलूचिस्तान के दुर्गम पहाड़ियों के बीच हिंगलाज माता का मंदिर है। भारत-पाकिस्तान के बीच अक्सर तनाव रहने के चलते भारतीय श्रद्धालुओं कम ही वहां जा पाते हैं। लेकिन पाकिस्तान में बसे हिंदू समुदाय के वासी यहां मां का दर्शन करने जरूर जाते हैं। ज्यादातर श्रद्धालु पाकिस्तान के थरपारकर जिले से आते हैं, यहां सबसे ज्यादा हिंदू आबादी है। इसके अलावा स्थानीय मुस्लिम भी यहां जाते हैं। वो मां के शक्तिपीठ को नानी का हज या नानी के मंदिर बुलाते हैं। यहां हर साल अप्रैल महीने में मेला लगता है।

माता हिंगलाज मंदिर की कहानी

हिन्दू पौराणाकि ग्रंथों के अुसार जिस-जिस जगह पर भगवान शिव की पत्नी सती के पावन शरीर के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे हैं वहां-वहां शक्तिपीठ बने हैं। पौराणिक कथाओं के एक बार माता सती के पिता राजा दक्ष ने अपने यहां देवताओं को निमंत्रण दिया। यहां पर भगवान महादेव को नहीं बुलाया गया है। महादेव के अपमान से नाराज माता सती ने यज्ञकुंड में कूद कर अपनी जान दे दी। इस बात से भगवान शिव ने रौद्र रूप धारण कर लिया और माता सती के शरीर को लेकर तांडव करने लगे।

महादेव का गुस्सा शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के 51 टुकड़े कर दिए। जिन स्थानों पर माता सती के अंग गिरे वे शक्तिपीठ कहलाएं। मान्यताओं के अनुसार हिंगलाज में माता सती का सिर गिरा था, इसलिए इस शक्तिपीठ को प्रमुख शक्ति पीठ माना गया है। हिंगलाज देवी को पांडवों और क्षत्रियों की कुलदेवी के रूप में भी जाना जाता है।

English summary :
According to beliefs, the head of Goddess Sati was dropped in the Hinglaj, so this Shaktipeeth is considered as the main Shakti Peetha. Hinglaj Devi is also known as the Kuldevi of Pandavas and Kshatriyas.


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