चैत्र नवरात्रि 2019: इन 5 नियमों को ध्यान में रखकर जलाएं 'अखंड ज्योति', देवी की होगी असीम कृपा

By गुलनीत कौर | Published: April 2, 2019 07:41 AM2019-04-02T07:41:28+5:302019-04-02T09:18:32+5:30

Chaitra Navratri 2019: शास्त्रों में नवरात्रि और कई अन्य शुभ अवसरों पर अखंड दीप जलाने का विधान है।

Chaitra Navratri 2019: What is Navratri Akhand Jyoti, importance, significance, How to light Navratri Akhand Jyoti, Do's and dont's for Akhand Jyoti | चैत्र नवरात्रि 2019: इन 5 नियमों को ध्यान में रखकर जलाएं 'अखंड ज्योति', देवी की होगी असीम कृपा

चैत्र नवरात्रि 2019: इन 5 नियमों को ध्यान में रखकर जलाएं 'अखंड ज्योति', देवी की होगी असीम कृपा

हिन्दू धर्म का पावन पर्व चैत्र नवरात्रि इस वर्ष 6 अप्रैल, दिन शनिवार से प्रारंभ हो रहा है। यह पर्व 14 अप्रैल, दिन रविवार को समाप्त हो रहा है। यह नौ दिन का पर्व होता है जिसमें आदि शक्ति के नौ रूपों की पूजा और व्रत किया जाता है। हिन्दू धर्म में नवरात्रि को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। वर्ष में दो बार - चैत्र और आषाढ़ के समय मनाए जाने वाले इस नवरात्रि पर्व के समय को सभी के लिए भाग्यशाली माना जाता है। इसलिए इस दौरान सभी शुभ कार्य करने की सलाह दी जाती है। 

चैत्र नवरात्रि 2019 तिथि, महत्व (Chaitra Navratri 2019 start date, end date, significance)

पंचांग के अनुसार 5 अप्रैल 2019, दिन शुक्रवार दोपहर 01:36 बजे से ही नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी जो कि अगले दिन यानी 6 अप्रैल को दोपहर 02:58 बजे तक रहेगी। परंतु नवरात्रि का प्रारंभ 6 अप्रैल को सूर्य उदय होने के बाद से ही माना जाएगा। 6 अप्रैल की सुबह 5 बजकर 47 मिनट पर सूर्य उदय होगा और धार्मिक रूप से तभी से नवरात्रि का शुभारंभ होगा। इसी दिन नवरात्रि का शुभ कलश भी स्थापित किया जाएगा। 6 अप्रैल की दोपहर बाद से प्रतिपदा तिथि समाप्त होगी और द्वितीया तिथि लग जाएगी।

चैत्र नवरात्रि कलश स्थापन शुभ मुहूर्त, महत्व (Chaitra Navratri 2019 Ghatasthapana date, shubh muhurat)

नवरात्रि के प्रथम दिन यानी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को ही घर में नवरात्रि कलश की स्थापना की जाती है। ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त लाभ एवं अमृत चौघड़िया तथा शुभ अभिजीत मुहुर्त्त में किया जाना अति उत्तम होता है। इस वर्ष घट स्थापना प्रातःकाल 07:20 बजे से 08:53 बजे तक शुभ चौघड़िया में सर्वोत्तम है। यदि किसी कारण इस शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित नहीं कर पाए हैं तो अभिजीत मुहूर्त एवं मध्यान्ह 11:30 से 12:18 बजे तक का समय भी इस कार्य के लिए उत्तम होगा। वैसे इस वर्ष घटस्थापना सुबह सूर्योदय से दोपहर 02:58 से पूर्व प्रतिपदा तिथि में किया जा सकता है।

नवरात्रि अखंड ज्योति क्या है? (What is Navratri Akhand Jyoti)

जिस प्रकार से नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापन की पूजा करके कलश स्थापित किया जाता है, ठीक इसी प्रकार से कई हिन्दू परिवारों में माता के नाम की ज्योति भी जलाई जाती है। इस ज्योति को नवरात्रि के नौ दिनों तक लगातार जलाया जाता है। इसलिए इसका नाम 'अखंड ज्योति' है। हिन्दू शास्त्रों में अखंड ज्योति को अंतर्मन के प्रकाश से जोड़ा जाता है। संस्कृत के एक श्लोक में कहा गया है - 'असतो मां सदगमय, तमसो मां ज्योतिर्गमय' अर्थात् हे मां हमें असत्य से सत्य की ओर ले जाओ और ज्योति जलाकर अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। शास्त्रों में नवरात्रि और कई अन्य शुभ अवसरों पर अखंड दीप जलाने का विधान है।

नवरात्रि अखंड ज्योति का ये है महत्व (Navratri Akhand Jyoti significance)

नवरात्रि में अखंड ज्योति का विशेष महत्व होता है। कलश स्थापित करने के बाद एक पात्र में अखंड ज्योति जलाई जाती है। मान्यता है कि अखंड ज्योति पूजा में भक्त की श्रद्धा का प्रतीक होती है। नवरात्रि के पहले दिन जब संकल्प के साथ कलश स्थापित किया जाता है तो उसी संकल्प के साथ ये अखंड ज्योति भी जलाई जाती है। कलश स्थापित होते वक्त नौ दिनों तक उपासना का भी संकल्प लिया जाता है। जब नौवें दिन व्रत समाप्त हो जाए तो इसे अपने आप बुझ जाने दिया जाता है। लेकिन खुद अपने हाथों से इन ज्योति को कभी भी बुझाया नहीं जाता। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।

ऐसे जलाएं नवरात्रि अखंड ज्योति (How to light Navratri Akhand Jyoti)

मंदिरों और पूजा-पाठ के लिए बने घरों में अक्सल लोग अखंड ज्योति पीतल जैसे पात्रों में जलाते हैं और लोगों को लगता है कि अखंड ज्योति केवल इसी बर्तन में जयाला जाता है। जिससे देवी कि देवी-देवताओं की कृपा बनी रहे। लेकिन अगर आपके पास पीतल के बर्तन नहीं उपलब्ध हैं तो आप मिट्टी के बने पात्र में अखंड ज्योति जला सकते हैं। जैसा कि नवरात्रि के पहले दिन से आखिरी दिन तक दीप जलने का विधान है। इससे हमेशा देवी जी की कृपा बनी रहती है। मिट्टी के पात्र में अखंड ज्योति जलाने से पहले साफ पानी में पात्र को कुछ देर तकर डुबाकर रखें। ऐसा इसलिए किया जाता है कि ताकि तेल का इस्तेमाल कम हो सके। क्योंकि मिट्टी के पात्र सोख्ते का काम करते हैं। 

अखंड ज्योति से जुड़े 5 नियम (Navratri Akhand Jyoti do's and dont's)

1) अगर आपके घर में नवरात्रि की अखंड ज्योति विराजमान है, नवरात्रि कलश सजाया गया है तो घर कभी खाली ना छोड़ें। घर का कोई एक सदस्य हर पल घर में रहना चाहिए

2) जिस घर में नवरात्रि का कलश और अखंड ज्योति स्थापित हो उस घर में प्याज, लहसुन आदि तामसिक खाद्य पदार्थों का सेवन या इस्तेमाल नहीं होना चाहिए

3) अखंड ज्योति जलने के बाद घर का कोई भी सदस्यों को शराब, तम्बाकू आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए

4) इस दौरान घर के किसी भी सदस्य को काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए

5) अखंड ज्योति जलाने के बाद बेल्ट, चप्पल-जूते, चमड़े के बैग आदि चीजों को घर के पूजा स्थल से दूर रखें

English summary :
Chaitra Navratri 2019 Date, Significance, Shubh Muhurat and DO's and Dont's: Chaitra Navratri, the holy festival of Hindu religion is going to start from 6th April this year to 14th April, Sunday. It is a nine-day festival in which nine avatar of Goddess Durga are worshiped and devotees observe fast. Navratri is considered very important and pious time in Hindu religion.


Web Title: Chaitra Navratri 2019: What is Navratri Akhand Jyoti, importance, significance, How to light Navratri Akhand Jyoti, Do's and dont's for Akhand Jyoti

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