Chaitra Navratri 2019: नवरात्रि के दूसरे दिन इस मंत्र से करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, खुलेंगे सफलता के मार्ग
By उस्मान | Published: April 7, 2019 07:35 AM2019-04-07T07:35:45+5:302019-04-07T07:35:45+5:30
Chaitra Navratri 2019: देवी के इस रूप को 'ब्रह्मचारिणी' के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं देवी से जुड़ी पौराणिक कथा, पूजा विधि एवं जानें किस मंत्र के जाप से देवी प्रसन्न होती हैं।
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के मुताबिक इस साल चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल 2019, दिन शनिवार को सूर्य उदय से प्रारम्भ होकर 14 अप्रैल 2019, दिन रविवार को प्रातः 6 बजे तक नवमी तत्पश्चात दशमी तिथि तक चलेंगे। इसी दिन नवरात्रि का शुभ कलश भी स्थापित किया जाएगा।
यह पर्व दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है और इस दौरान सभी रूपों की पूजा और व्रत किया जाता है। दूसरे दिन यानी 07 अप्रैल, 2019 को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी के इस रूप को 'तपश्चारिणी' के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं देवी से जुड़ी पौराणिक कथा, पूजा विधि एवं जानें किस मंत्र के जाप से देवी प्रसन्न होती हैं।
देवी ब्रह्मचारिणी व्रत कथा
पुराणों में दर्ज एक कथा के मुताबिक मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या की थी। देवी ने करीब तीन हजार वर्षों तक केवल बिल्व पत्र, फल-फूल ग्रहण किया और किसी भी प्रकार के अनाज को हाथ नहीं लगाया।
उनकी इसी तपस्या से प्रसन्न होकर देवताओं ने उन्हें आशीर्वाद दिया। देवता उनके समक्ष प्रकट हुए और कहा कि ' देवी, तुमने घोर तपस्या कर हमें चकित कर दिया है, इतनी कठोर तपस्या आप ही कर सकती थीं। आपकी तपस्या पूर्ण हुई, अब घर जाएं। आपकी तपस्या के फल के रूप में भगवान चंद्रमौलि (शिवजी) तुम्हें वर रूप में प्राप्त होंगे।'
देवी ब्रह्मचारिणी का व्रत करने के लाभ
- साधक की इच्छाशक्ति बढ़ती है
- अन्दर से आत्मविश्वास आता है
- संघर्ष करने की क्षमता में वृद्धि होती है
- आचार-विचार में संयम की वृद्धि होती है
- जीवन में सफलता के मार्ग खुलते हैं
देवी से जुड़ा रंग एवं मंत्र
नवरात्रि के दूसरे दिन हरे रंग के वस्त्र धारण करें, आदि शक्ति, मां दुर्गा या भगवती की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जप कर उनकी अराधना करें:
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥