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चैत्र नवरात्रि 2018: सुख और ऐश्वर्य की देवी है मां स्कंदमाता, नवरात्रि के पांचवें दिन इस मंत्र से करें उन्हें प्रसन्न

By धीरज पाल | Updated: March 21, 2018 13:51 IST

मां स्कंदमाता कमल पर विराजमान होती हैं। इसी कारण इन्हें 'पद्मासना' नाम से भी जाना जाता है।

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चैत्र नवरात्रि में आदि शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि की शुरुआत मां शैलपुत्री से होती है। इनके नौ रूपों में से एक हैं माता स्कंदमाता, इनकी पूजा नवरात्रि के पांचवे दिन किया जाता है। स्कंद मतलब भगवान कार्तिकेय/मुरुगन और माता मतलब मां है, अतः इनके नाम का मतलब स्कंद की माता है। चार भुजाओं वाली मां स्कंदमाता के दो हाथों में कमल, एक हाथ में कार्तिकेय और एक हाथ में अभय मुद्रा धारण की हुई होती हैं। 

मां स्कंदमाता कमल पर विराजमान होती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग माता की पूजा अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस देवी का साधना व भक्ति करने से सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इनकी पूजा मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। यह देवी अग्नि और ममता की प्रतीक मानी जाती हैं। इसलिए भक्तों पर हमेशा प्रेम आशीर्वाद बरसती रहती है। इस मौके पर आइए जानते हैं इनसे जुड़ी कुछ पौराणिक कथाओं की बातें। 

पौराणिक कथा 

पौराणिक मान्यता है कि अनुसार तारकासुर नामक एक राक्षस था जो ब्रह्मदेव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप करता था। एक दिन भगवान उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसके सामने प्रकट हो गए। तब उसने उसने अजर-अमर होने का वरदान माँगा। ब्रह्मा जी ने उसे समझाया की इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया है उसे मरना ही है। फिर उसने सोचा कि शिव जी तपस्वी हैं, इसलिए वे कभी विवाह नहीं करेंगे। अतः यह सोचकर उसने भगवान से वरदान माँगा कि वह शिव के पुत्र द्वारा ही मारा जाए। ब्रह्मा जी उसकी बात से सहमत हो गए और तथास्तु कहकर चले गए। उसके बाद उसने पूरी दुनिया में तबाही मचाना शुरू कर दिया और लोगों को मारने लगा।

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उसके अत्याचार से तंग होकर देवतागण शिव जी के पास पहुँचे और विवाह करने का अनुरोध किया। तब उन्होंने देवी पार्वती से विवाह किया और कार्तिकेय के पिता बनें। जब भगवान कार्तिकेय बड़े हुए, तब उन्होंने तारकासुर दानव का वध किया और लोगों को बचाया।

इस विधि से करें देवी को प्रसन्न 

नवरात्रि के पांचवे दिन यदि आप मां स्कंदमाता के नाम का व्रत और पूजन कर रहे हैं तो सुबह स्नानादि करके सफेद रंग के आसन पर विराजमान होकर देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठ जाएं। हाथ में स्फटिक की माला लें और इस मंत्र का कम से कम एक माला यानि 108 बार जाप करें: प्रार्थना मंत्र: सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।

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शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी। ऐसे मान्यता है कि माता स्कंदमाता को सफेद रंग बेहद ही पसंद है जो शांति और सुख का प्रतीक है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।

मंत्रॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥

प्रार्थना मंत्रसिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

स्तुतिया देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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