चैत्र नवरात्रि आज से शुरू हो चुकी है। मां दुर्गा के इन 9 दिनों में भक्त माता की विशेष पूजा अर्चना करते है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ दुर्गासप्तशती का पाठ भी शुरू किया जाता है। नवरात्रि का 9 दिन नौ देवियों को समर्पित होता है। जिसमें से पहला दिन होता है देवी शैलपुत्री के नाम।
नरवात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्रि की पूजा की जाती है। देवी के मंत्र के साथ उनके भोग और हवन की भी चीजें होती है। आइए आपको बताते हैं देवी शैलपुत्री के महिमा और उनके मंत्र।
शैलपुत्री का स्वरूप
मां शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना जाता है। इनका वाहन वृषभ होता है। इनको उमा के नाम से भी जानते हैं। माता के स्वरूप की बात करें शैलपुत्री की पूजा दाहिने हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं। यह त्रिशूल जहां भक्तों को अभयदान देता है वहीं पापियों को विनाश करता है। बाएं हाथ में इनके सुशोभित कमल का फूल होता है। जिसे शांति का प्रतीक माना जाता है।
पढ़े मां शैलपुत्री का ये मंत्र
मां दुर्गा के नवरात्रि के दिनों में षोड्शोपचार पूजा की जानी चाहिए। पहले दिन मां शैलपुत्री स्वरूप की पूजा में नदियों, तीर्थों और दिशाओं का आह्वान किया जाता है। आप शैलपुत्री का ध्यान इस मंत्र से कर सकते हैं-
वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्।वृषारूढां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता ॥
मंत्रओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।
मां शैलपुत्रि को लगाएं इसका भोग
मान्यता है कि मां शैलपुत्री को सफेद वस्तु बहुत प्रिय होता है। नवरात्र के पहले दिन मां को सफेद वस्त्र सफेद फूल और सफेद रंग के खाद्य पदार्थ का भोग लगाया जाता है। आप चाहें तो को खीर, सफेद बर्फी का भोग लगा सकते हैं। मान्यता है कि देवी शैलपुत्रि के पूजन से जीवन में स्थिरता और दृढ़ता आती है। महिलाओं को इनकी पूजा से विशेष फल प्राप्त होते हैं।