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Bhai Dooj 2019: यम द्वितीया की पौराणिक कथा, जानिए कैसे शुरू हुआ भाई दूज का पवित्र पर्व

By मेघना वर्मा | Updated: October 29, 2019 08:21 IST

Bhai Dooj Katha in Hindi: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथी को मनाए जाने वाले इस त्योहार का इंतजार भाई-बहनों को साल भर रहता है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है।

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ठळक मुद्देइस साल भाई दूज का पर्व 29 अक्टूबर को पड़ रहा है।इसे यम द्वितीया भी कहते हैं।

भाई-बहनों के प्यार और स्नेह को दिखाने वाला त्योहारभाई दूज इस साल 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथी को मनाए जाने वाले इस त्योहार का इंतजार भाई-बहनों को साल भर रहता है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहन भाई के माथे पर टीका काढ़ती है। 

दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ये एक ऐसा उत्सव है जो भाई बहन के अपार प्रेम और स्नेह को दिखाता है। इस दिन हर बहन अपने भाई की खुशहाली की कामना करते हैं। यम द्वितीया की पौराणिक कहानी भी काफी लोकप्रिय है। आइए आपको बताते हैं क्या है भाई दूज की कहानी-

सूर्य की पत्नी संज्ञा की दो बच्चे थे। उनके पुत्र का नाम यमराज था और पुत्री का नाम यमुना। संज्ञा अपने पति सूर्य देवता की उद्दीप्त किरणों को सहन नहीं कर सकने के कारण उत्तरी ध्रुव में छाया बनकर रहने लगी। इसी से ताप्ती नदी तथा शनिच्चर का जन्म हुआ। इसी छाया से सदा युवा रहने वाले अश्विनी कुमारों को भी जन्म हुआ है।

जो देवताओं के वैद्य माने जाते हैं। उत्तरी ध्रुव में बसने की वजह से यम और यमराज के व्यवहार में काफी अंतर आ गया था। यम को अपनी नगरी यमपरी बसाई। जहां वह पापियों को दंड देता था। वहीं उसे देखकर यमुना दुखी होती थी। इसीलिए यमुना गोलोक चली गई।

समय बीता और सालों बाद यम को यमुना की याद आई। यम ने अपने दूतों से यमुना का पता लगाने को कहा। मगर वह कहीं मिली नहीं। जब स्वंय यम गोलोक गया तो उनकी मुलाकात यमुनाजी से हुई। सालों बाद यम से मिलकर यमुना बहुत खुश हुई। यमुना ने भाई का स्वागत किया और स्वादिष्ट भोजन करवाया। भाई यम ने प्रसन्न होकर बहन से वरदान मांगने को कहा।

तब यमुना ने वर मांगा कि हे भईया, जो भी लोग मरे वो यमुना के जल में स्नान करें और वह यमपुरी ना जाएं। यमुना के इस वरदान पर यम ने तथास्तु बोल दिया। तब से इस भाई दूज या यमद्वितीया की मान्यता काफी ज्यादा है। इस दिन को तभी से मनाया जाता है।

टॅग्स :भाई दूजहिंदू त्योहारत्योहारपूजा पाठ
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