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Barsana Holi 2024: बरसाने की लट्ठमार होली कब खेली जाएगी ? जानें विश्व प्रसिद्ध होली के बारे में

By रुस्तम राणा | Updated: March 2, 2024 16:45 IST

Barsana Holi 2024: भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी से सबंधित नगरी ब्रज में होली की धूम अलग होती है। मथुरा, बरसाना और वृंदावन में न सिर्फ रंग बल्कि लट्ठमार, लड्‌डूमार, फूलों की होली खेलने की परंपरा है। इस पर्व में भक्त राधा-कृष्ण की भक्ति में लीन हो जाते हैं। 

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Holi 2024: इस साल होली 25 मार्च को खेली जाएगी। यह त्योहार प्रति वर्ष फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अगले दिन मनाया जाता है। रंग,अबीर, गुलाल, गुजिया, मिष्ठान और फाल्गुन के गीत इस त्योहार की खास पहचान है। होली के त्योहार की जब भी बात आती है तो बरसाने की लट्ठमार होली को भला कौन भूल सकता है, जो दुनियाभर में अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान के लिए जानी जाती है। भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी से सबंधित नगरी ब्रज में होली की धूम अलग होती है। मथुरा, बरसाना और वृंदावन में न सिर्फ रंग बल्कि लट्ठमार, लड्‌डूमार, फूलों की होली खेलने की परंपरा है। इस पर्व में भक्त राधा-कृष्ण की भक्ति में लीन हो जाते हैं। 

बरसाने की लट्ठमार होली कब है?

वैसे तो ब्रज में 40 दिन की होली में हर दिन मंदिरों में अलग-अलग उत्सव चलते है लेकिन मुख्य रूप से होली के 7 दिनों तक ब्रज में एक अलग ही रौनक होती है, जिसकी शुरुआत बरसाना की लड्डू और लट्ठमार होली से होती है और इस साल बरसाने की लट्ठमार होली 18 मार्च को है। उसके बाद ही सभी प्रमुख मंदिरों में होली के अलग-अलग त्योहार मनाए जाते है। 

ब्रज की होली का पूरा कैलेंडर

17 मार्च- फाग आमंत्रण उत्सव होगा और लड्डू होली राधा रानी मंदिर, बरसाना18 मार्च- लट्ठमार होली शाम 4:30 बजे से (राधा रानी मंदिर, बरसाना)19 मार्च- लट्ठमार होली शाम 4:30 बजे से (नंदगांव)20 मार्च- फूलवाली होली शाम 4 बजे (बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन)20 मार्च- कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में कार्यक्रम दोपहर 1 बजे से21 मार्च- छड़ी मार होली दोपहर 12 बजे (गोकुल)23 मार्च – विधवा होली दोपहर 12 राधा गोपीनाथ मंदिर, वृंदावन24 मार्च- होलिका दहन, बांके बिहारी मंदिर में सुबह 9 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक फूलो कीहोली25 मार्च – मथुरा और वृन्दावन में मुख्य होली26 मार्च- बलदेव में हुरंगा होली दोपहर 12:30 बजे से दाऊजी मंदिर, बलदेव

कैसे मनाई जाती है लट्ठमार होली?

लट्ठमार होली में महिलाएं यानी हुल्यारिन लट्ठ लेकर हुल्यारों को यानी पुरुषों को मजाकिया अंदाज में पीटती हैं। वहीं पुरुष ढाल लेकर महिलाओं से बचने का प्रयास करते हैं। कहते हैं कि राधा और उनकी सेहलियों से बचने के लिए ग्वालों ने ढाल का उपयोग किया। हंसी ठिठोली में हुई ये घटना आज लट्‌ठमार होली के तौर पर जानी जाती है। तब से ही बरसाना में लट्ठमार होली खेलने का चलन है।

टॅग्स :होलीभगवान कृष्णराधा कृष्णमथुराVrindavan
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